बैठक का उद्देश्य
NCP के नेताओं ने कहा कि बैठक की पहल एक ब्राह्मण संगठन ने की। NCP प्रवक्ता अंकुश काकड़े ने कहा, "संगठन हमारे पार्टी प्रमुख से मिलना चाहता था और कुछ मुद्दे उठाना चाहता था। हमारे पार्टी प्रमुख ने तब सुझाव दिया कि एक संगठन से मिलने के बजाय, वह पुणे के कई संगठनों से मिलेंगे।"
NCP के नेताओं ने कहा कि बैठक की पहल एक ब्राह्मण संगठन ने की। NCP प्रवक्ता अंकुश काकड़े ने कहा, "संगठन हमारे पार्टी प्रमुख से मिलना चाहता था और कुछ मुद्दे उठाना चाहता था। हमारे पार्टी प्रमुख ने तब सुझाव दिया कि एक संगठन से मिलने के बजाय, वह पुणे के कई संगठनों से मिलेंगे।"
एनसीपी के नेताओं ने कहा कि चूंकि ब्राह्मण समुदाय कुछ बयानों पर आपत्ति जता रहा है, इसलिए पार्टी ने उनकी शिकायतों को दूर करना उचित समझा। एनसीपी नेता ने कहा, 'पवार ने हमेशा सभी समुदायों का समर्थन किया है। उन्होंने खुद कभी किसी के खिलाफ अपमानजनक टिप्पणी नहीं की है। शरद पवार ने कुछ कार्यों और व्यक्तियों की टिप्पणियों पर अपने विचार व्यक्त किए हैं लेकिन समुदाय के खिलाफ कभी कुछ नहीं कहा। उनकी सभी टिप्पणियां तथ्यों और सबूतों पर आधारित हैं। इसलिए पार्टी ने बैठक करने का फैसला किया है।'
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बैठक से ब्राह्मणों का बहिष्कारब्राह्मण महासंघ एंड परशुराम सेवा संघ जैसे बड़े सगंठनों ने इस बैठक का बहिष्कार करने का निर्णय लिया है। ”ब्राह्मण महासंघ के प्रमुख आनंद दवे ने सवाल करते हुए कहा, '“जब भी कोई NCP नेता ब्राह्मण समुदाय के खिलाफ आपत्तिजनक बयान देता है, तो एनसीपी प्रमुख उनके खिलाफ कोई एक्शन नहीं लेते या उनसे माफी मांगने के लिए नहीं कहते हैं। अगर वह हमारी बात नहीं सुनना चाहते हैं, तो हम उनसे क्यों मिलें।'
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ब्राह्मण समुदाय NCP से नाराज क्यों हैं?पिछले कुछ दिनों में NCP चीफ शरद पवार और उनकी पार्टी के नेताओं ने कुछ ऐसे बयान दिए हैं जिसने ब्राह्मण समुदाय की भावनाओं को आहत किया है। "स्वामी समर्थ छत्रपति शिवाजी महाराज के गुरु नहीं थे", और "बाबासाहेब पुरंदरे द्वारा प्रदान की गई जानकारी के कारण छत्रपति शिवाजी महाराज को बदनाम किया गया था", ये कुछ ऐसी टिप्पणियां हैं जिसने ब्राह्मण समुदाय को नाराज किया है। इसके अलावा पेशवे पगड़ी के बजाय फुले पगड़ी के इस्तेमाल को बढ़ावा देने वाला बयान के साथ ही भीमा-कोरेगांव हिंसा में हिंदुत्व संगठनों का हाथ होने की टिप्पणी वाले बयान ने भी ब्राह्मण समुदाय को आहत किया है।
ये नाराजगी तब और बढ़ गई जब शरद पवार ने जवाहर राठौड़ की एक कविता पढ़ी, जिसमें उन्होंने "दैवीय शक्ति" की बात करते हुए एक समुदाय को भगवान से भी श्रेष्ठ बताया था। उन्होंने कहा था किप्रमुख ने कविता पढ़ते हुए कहा, "पत्थर काटने वाला सवाल करता है कि क्या ब्रह्मा दुनिया के निर्माता हैं या हम (उनकी मूर्ति बनाने वाले) उनके पिता हैं।" ऐसे और भी कई बयान हैं जिससे ब्राह्मण समुदाय नाराज हुआ है।