scriptपतंजलि ग्रुप के नए माफीनामे से संतुष्ट सुप्रीम अदालत, दो सदस्यीय बेंच ने कहा-पहले से बेहतर माफ़ीनामा | Supreme Court satisfied with the new apology of Patanjali Group, two-member bench said- better apology than before | Patrika News
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पतंजलि ग्रुप के नए माफीनामे से संतुष्ट सुप्रीम अदालत, दो सदस्यीय बेंच ने कहा-पहले से बेहतर माफ़ीनामा

अदालत में मौजूद रहे पतंजलि कंपनी के रामदेव और बालकृष्ण

– रामदेव-बालकृष्ण को सिर्फ़ अगली सुनवाई के दौरान व्यक्तिगत पेशी से मिली छूट

-आईएमए के अध्यक्ष के बयान से नाराज़ सुप्रीम कोर्ट

नई दिल्लीApr 30, 2024 / 09:36 pm

anurag mishra

अनुराग मिश्रा! नई दिल्ली: पतंजलि के भ्रामक विज्ञापनों से जुड़े केस में सुप्रीम कोर्ट की दो सदस्यीय बेंच ने कंपनी के माफीनामे पर संतुष्टि ज़ाहिर की है । मामले में सुनवाइ्र के दौरान न्यायमूर्ति अमानुल्लाह ने कहा कि अब माफीनामे में नाम आ गए हैं। यह एक बेहतर सुधार है और हम बात की सराहना करते हैं, भाषा भी ठीक है।
ग़ौरतलब है कि  पतंजलि कंपनी के रामदेव और  बालकृष्ण को एक महीने से ज़्यादा समय से सुप्रीम कोर्ट में व्यक्तिगत तौर पर हाज़िर होना पड़ा हैं। पतंजलि आयुर्वेद के भ्रामक विज्ञापन मामले में सुप्रीम कोर्ट में दायर इंडियन मेडिकल एसोसिएशन IMA की याचिका पर मंगलवार को फिर सुनवाई हुई। इस दौरान रामदेव और पतंजलि के मैनेजिंग डायरेक्टर बालकृष्ण कोर्ट में मौजूद रहे। सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने पिछली सुनवाई साथ में दिए गए निर्देश पर पतंजलि ग्रुप की तरफ़ से संतोषजनक ढंग से काम किए जाने पर संतुष्टि ज़ाहिर की है। रामदेव और बालकृष्ण के वक़ील की तरफ़ से 7 मई को होने वाली अगली सुनवाई के दौरान व्यक्तिगत पेशी से छूट की माँग को भी दो सदस्यीय बेंच ने मान लिया। सुप्रीम कोर्ट ने व्यक्तिगत पेशी में छूट को सिर्फ अगली सुनवाई तक ही सीमित रखने की बात भी कही। यानी अगर अगली सुनवाई में फिर से रामदेव और बालकृष्ण को बुलाने की बात कही जाएगी तो दोनों को फिर से हाज़िर होना पड़ेगा। सुप्रीम कोर्ट ने साफ किया कि केवल अगली सुनवाई के लिए पेशी से छूट दी गयी है।
इसके साथ ही सर्वोच्च अदालत ने माफीनामे वाले अखबार का पूरा पेज रिकॉर्ड पर ना रखने को लेकर नाराजगी जताई। कोर्ट ने रिकॉर्ड पूरा करने का मौका भी दिया है।
ग़ौरतलब है कि इससे पहले 23 अप्रैल को हुई सुनवाई में कोर्ट ने पतंजलि आयुर्वेद द्वारा अखबार में दिए गए सार्वजनिक माफीनामे को खारिज कर दिया था। और पूछा था कि क्या माफीनामा उसी साइज़ में छापा गया, जिस साइज़ में विज्ञापन छपा था।
अदालत में रामदेव के वक़ील मुकुल रोहतगी ने कहा कि हमनें जो माफीनामा पेपर में दिया था उसे रजिस्ट्री में हमने जमा कर दिया था। मुकुल ने उस माफीनामे अदालत में दिखाया, जो पेपर में छपा था।
इस पर सर्वोच्च अदालत की दो सदस्यीय बेंच ने कहा कि बहुत ज्यादा कम्युनिकेशन की कमी है, हम अपने हाथ खड़े कर रहे हैं। आपके वकील बहुत ज्यादा स्मार्ट हैं। ऐसा जानबूझकर किया गया है।
जस्टिस अमानतुल्लाह ने पूछा कि  बलबीर से स्पष्टीकरण मांगा था। फिर कहा था कि ओरिजिनल दस्तावेज फाइल किया जाएगा। पूरा न्यूज पेपर फाइल किया जाना था।
वकील बलबीर सिंह, रामदेव की तरफ से कहा कि हो सकता है, मेरी अज्ञानता की वजह से ऐसा हुआ हो।
अदालत ने कहा पिछली बार जो माफीनामा छापा गया था वो छोटा था और उसमें सिर्फ़ पतंजलि  लिखा था। लेकिन दूसरा बड़ा है, उसके लिए हम प्रशंसा करते हैं कि उनको बात समझ में आई।
अदालत ने कहा कि आप केवल न्यूज पेपर और उस दिन की तारीख का माफीनामा जमा करें। सुप्रीम कोर्ट ने रामदेव को माफीनामे के ओरिजनल न्यूज पेपर दाखिल को कहा। कोर्ट ने रजिस्ट्री को कहा कि इसे स्वीकार करें।
आईएमए के अध्यक्ष के बयान से नाराज़ सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि IMA के अध्यक्ष का बयान रिकॉर्ड पर लाया जाए। यह बेहद गंभीर मामला है। इसका परिणाम भुगतने के लिए तैयार हो जाए।
आईएमए के अध्यक्ष अशोकन ने कहा था कि ये बेहद ही दुर्भाग्यपूर्ण है कि सुप्रीम कोर्ट ने IMA और प्राइवेट डॉक्टरों की प्रैक्टिस की आलोचना की।
उन्होंने कहा कि अस्पष्ट बयानों ने प्राइवेट डॉक्टरों का मनोबल कम किया है। हमें ऐसा लगता है कि उन्हें देखना चाहिए था कि उनके सामने क्या जानकारी रखी गई है। शायद उन्होंने इस पर ध्यान ही नहीं दिया कि मामला ये था ही नहीं, जो कोर्ट में उनके सामने रखा गया था।

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