चुनाव की सबसे खास बात यह है कि अलीगढ़ में हर बार धार्मिक ध्रुवीकरण जोरदार होता है, लेकिन इस बार मतदान से ठीक पहले तक इस तरह का माहौल नहीं दिख रहा है। इसकी वजह यहां पर किसी भी दल ने मुस्लिम उम्मीदवार नहीं उतारा है। ऐसे में भाजपा सांसद के खिलाफ पनप रही नाराजगी और उनके वोटों में सेंधमारी की आशंका से चुनाव में कड़ी टक्कर दिख रही है। भाजपा के दिग्गज नेता रहे कल्याण सिंह के परिवार से भी सांसद गौतम की पटरी नहीं बैठ रही है। इन सब समीकरण के बीच मैं अपनी चुनावी यात्रा पर बुलंदशहर से अलीगढ़ की ओर आगे बढ़ा तो शानदार हाईवे देखने को मिला, लेकिन शहर की भीतरी सडक़ें खस्ताहाल दिखीं। साथ ही ट्रैफिक का बुरा हाल मिला।
अलीगढ़ का चुनावी माहौल तलाशने की शुरुआत रेलवे स्टेशन से की। स्टेशन का नया आलीशान भवन मोदी सरकार की उपलब्धि बता रहा है। यहां पर रिक्शा चलाने वाला धर्मवीर सिंह अपने दूसरे मजदूर साथियों से चुनावी चर्चा करता मिला। मैं यहां चुपचाप खड़ा होकर उसकी बात सुनने लगा। धर्मवीर कहता है कि मोदी-योगी सरकार में कुछ काम नहीं होता है। ठेके पर लोगों को काम पर रखा जाता है। 15 हजार रुपए का भुगतान ठेकेदार को होता है, जिसमें से वह काम करने वाले को महज 8 हजार रुपए देता है। नाराजगी जताते हुए मायावती की सरकार को याद करने लगता है। यहां से मैं आगे बढकऱ पुराने बस स्टैंड पहुंचा, जहां ई-रिक्शे में बैठकर पुराने शहर की ओर बढ़ा। ई-रिक्शा चालक हसन अली कहने लगे कि इस बार बदलाव होकर रहेगा। महंगाई-बेरोजगारी से परेशान हो गए हैं। उनके रिक्शे से उतरकर ताले की दुकान पर पहुंचा और दुकानदार तुषार गोयल से बातचीत शुरू की। गोयल ने तपाक से कह दिया कि सब कुछ सह लेंगे, लेकिन सनातन का अपमान नहीं सहेंगे। मोदी-योगी राज में हम खुलकर अपनी बात कह पा रहे हैं। पहले तो हमें मंदिर जाने तक में डर लगता था। आगे चला तो मिठाई की दुकान पर महेश वैष्णव मिले, कहने लगे कि सांसद गौतम के व्यवहार से लोग खिन्न है। भाजपा से कोई नाराजगी नहीं है। सांसद को टिकट गलत दे दिया है।
आगे चला तो किताबों की दुकान पर युवाओं में चुनाव की बातचीत पर बहस छिड़ गई। दुकानदार मुकेश बासनिक ने कहा कि सांसद लोगों से मिलता ही नहीं है। साथ ही सरकार ने महंगाई नियंत्रण और बेरोजगारी हटाने के लिए कुछ नहीं किया है। अलीगढ़ से आगे देहात इलाके में पहुंचा तो चुनाव की तस्वीर जाति-बिरादरी में बंटती दिखी। हरदुआगंज में महेश लोधी ने जातीय समीकरण समझाते हुए कहा कि जाट, मुस्लिम, एससी का गठजोड़ कांग्रेस के साथ है। भाजपा के पास ब्राह्मण समेत अन्य सामान्य व ओबीसी के वोटर है, लेकिन इनमें ब्राह्मण वोट में बसपा सेंध लगा सकती है। जबकि राजपूत वोटों में बिखराव हो सकता है।
अमरोहा लोकसभा सीट पर दानिश कड़ी टक्कर में फंसे
ढोलक बनाने के लिए मशहूर अमरोहा मुस्लिम बहुल लोकसभा क्षेत्र है। यहां से सांसद कुंवर दानिश अली कांग्रेस के टिकट पर इंडिया गठबंधन के संयुक्त उम्मीदवार हैं। भाजपा ने पूर्व सांसद कुंवर सिंह को टिकट दिया है, जबकि बसपा ने मुजाहिद हुसैन को चुनाव में उतारा है। मुजाहिद के चुनाव में उतरने से मुस्लिम वोटों में बिखराव की आशंका से दानिश कड़ी टक्कर में फंसे हुए हैं। मुस्लिम वोटों की अहमियत जानते हुए यहां की सभा में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भी क्रिकेटर मोहम्मद शमी का जिक्र किया है। विकास की दौड़ में पिछड़े अमरोहा के नायब अब्बासी डिग्री कॉलेज में पढऩे वाले फिरोज हसन ने कहा कि सरकार ने युवाओं को धोखा दिया है। साथ ही वे भाजपा सांसद रमेश विधुड़ी के संसद में दानिश पर की गई टिप्पणी को भी चुनावी मुद्दा बताते हैं। विवेकानंद नगर में रहने वाले राकेश शर्मा ने कहा कि यहां हार-जीत मुस्लिम वोट तय करते हैं। यदि उनमें बिखराव हो गया तो भाजपा को फायदा हो सकता है। मोती नगर निवासी अब्दुल्लाह का कहना है कि दानिश ने संसद में इलाके की आवाज उठाई है।