भारत का उपराष्ट्रपति राज्यसभा का सभापति भी होता है। इस पद के लिए उन्हें ‘संसद अधिकारी के सैलरी और भत्ते अधिनियम, 1953’ के तहत सैलरी देने का प्रावधान है।
उपराष्ट्रपति पद के लिए अलग से कोई सैलरी नहीं होती है। राज्यसभा के सभापति के तौर पर उन्हें सैलरी और अन्य सरकारी सुविधाएं दी जाती हैं।
यह भी पढ़ें – कौन होगा अगला उपराष्ट्रपति, जगदीप धनखड़-मार्गरेट अल्वा के बीच मुकाबला उपराष्ट्रपति को हर महीने 4 लाख रुपए वेतन के तौर पर दिए जाते हैं। इसके साथ ही उपराष्ट्रपति को कई तरह के अन्य भत्ते भी मिलते हैं। इनमें दैनिक भत्ता, चिकित्सा, मुफ्त आवास, यात्रा और अन्य सुविधाओं के लाभ शामिल होते हैं।
राष्ट्रपति के समान सुविधाओं का अधिकार
उपराष्ट्रपति को राष्ट्रपति के समान सुविधाओं का अधिकार है। हालांकि ऐसा राष्ट्रपति की गैर-मौजूदगी में ही होता है। प्रेसिडेंट की गैर मौजूदगी में उपराष्ट्रपति सभी जिम्मेदारियों को निभाते हैं। ऐसे में उन्हें राष्ट्रपति की सैलरी और सरकारी सुविधाएं मिलती हैं।
इसके साथ ही उपराष्ट्रपति को सरकारी स्टाफ भी दिया जाता है। यही नहीं उपराष्ट्रपति को पेंशन वेतन का 50 फीसदी दिया जाता है।
– उपराष्ट्रपति चुनाव में संसद के दोनों सदनों के सदस्य वोट डालते हैं। इसके साथ ही दोनों सदनों के मनोनीत सांसद भी वोटिंग कर सकते हैं।
– इस तरह से उपराष्ट्रपति चुनाव में दोनों सदनों के 790 सदस्य हिस्सा लेते हैं। इसमें राज्यसभा में कुल 245 और लोकसभा के 545 सांसद वोट देते हैं।
– उपराष्ट्रपति का चुनाव संसद के दोनों सदनों के सदस्यों से मिलकर बनी निर्वाचक मंडल यानी इलेक्टोरल कॉलेज के जरिए होता है।
– उपराष्ट्रपति का चुनाव आनुपातिक प्रतिनिधित्व पद्धति से होता है, यानी चुनाव में मतदाता प्राथमिकता के आधार पर वोट करते हैं।
– 35 साल उम्र पूरा कर चुका कोई भी व्यक्ति उपराष्ट्रपति का चुनाव लड़ सकता है
– उम्मीदवार को कम से कम 20 संसद सदस्यों को प्रस्तावक और कम से कम 20 संसद सदस्यों को समर्थक के रूप में नामित कराना होता है।
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