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सत्रह शृंगार करते हैं नागा साधु!

नागा के शृंगार मेंं लंगोट, भभूत, चंदन, पैरों में लोहे या चांदी का कड़ा, अंगूठी, पंच केश, कमर में फूलमाला, माथे पर रोली का लेप, कुंडल, हाथों में चिमटा, डमरू, कमंडल, गुंथी हुई जटाएं, तिलक, काजल, हाथों में कड़ा, शरीर पर भभूति, रूद्राक्ष के बाजूबंद आदि शामिल होते हैं।

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simhastha simhastha

Apr 01, 2016

naga saint doing makeup

naga saint doing makeup

उज्जैन.जहां महिलाएं सोलह शृंगार करती हैं, वहीं नागा साधु 17 तरह के शृंगार से स्वयं को सजाते हैं। उनकी अपनी अलग ही दुनिया है। सिंहस्थ में तेरह अखाड़ों के हजारों नागा साधु आएंगे। सभी के लिए इनका शृंगार अनूठा व आकर्षण का केंद्र रहता है, जिसकी अपनी एक अलग विधि है। वे विशेष अवसरों पर ही ऐसा सजते हैं और अपने ईष्ट देव विष्णुजी या शंकरजी की आराधना करते हैं।
नागा साधु सुहागिन महिलाओं की तरह पूरे सोलह शृंगार करते हैं, लेकिन इनका 17वां शृंगार बहुत खास माना जाता है, जो इन्हें महिलाओं से एक कदम आगे रखता है। वह है भस्मी अर्थात भभूति शृंगार। इसको नागा साधु अपना परिधान मानते हैं, जिसका पूरे शरीर पर लेपन करते हैं। नागा साधु अपने शरीर पर सफेद भस्म और रूद्राक्ष की मालाओं के अलावा कुछ नहीं पहनते। माना जाता है कि भगवान शंकर ऐसे ही ग्यारह हजार रूद्राक्ष की मालाएं धारण करते थे और भभूत रमाते थे।


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