नागा साधु सुहागिन महिलाओं की तरह पूरे सोलह शृंगार करते हैं, लेकिन इनका 17वां शृंगार बहुत खास माना जाता है, जो इन्हें महिलाओं से एक कदम आगे रखता है। वह है भस्मी अर्थात भभूति शृंगार। इसको नागा साधु अपना परिधान मानते हैं, जिसका पूरे शरीर पर लेपन करते हैं। नागा साधु अपने शरीर पर सफेद भस्म और रूद्राक्ष की मालाओं के अलावा कुछ नहीं पहनते। माना जाता है कि भगवान शंकर ऐसे ही ग्यारह हजार रूद्राक्ष की मालाएं धारण करते थे और भभूत रमाते थे।