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गोबर के ढ़ेर से मीथेन और कार्बन डायऑक्साइड गैस निकलता है
आपको बता दें कि इस संबंध में दक्षिणी दिल्ली नगर निगम के एक अधिकारी ने बताया कि इन दो बायोगैस प्लांट के निर्माण से इलाके में नाली जाम के साथ सीवरेज लाइन खराब होने की समस्या खत्म हो जाएगी। इससे पहले तक डेयरी संचालकों गोबर का निस्तारण नहीं होने से इसे नालियों में बहा देते थे जिससे कि यह बड़े नाले और सीवरेज लाइन में पहुंच जाता था और नाले जाम हो जाते थे। अधिकारी का कहना है कि इस परियोजना से दिल्ली वाले के स्वास्थ्य से संबंधिति कई चिंताओं को दूर किया जा सकता है। बता दें कि गोबर के ढ़ेर से खतरनाक कार्बन डाय ऑक्साइड़ और मीथेन गैस निकलती है। यह शरीर के लिए बेहद ही खतरनाक होता है।
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क्या-क्या है खास
आपको बता दें कि इस बायोगैस प्लांट को वैज्ञानिक तरीके से लगाया जा रहा है। बीते वर्ष 2017 में इसके लिए निविदाएं मंगाई गई थी। हालांकि कुछ खामियों के कारण ये निविदाएं सफल नहीं हो पाई। मंगाए गए निविदा के मुताबिक नंगली डेयरी और ककरौला डेयरी से लगभग 220 टन गोबर प्रतिदिन निकलता है, जिसे इन प्लाटों में निस्तारण किया जाएगा। इसके अलावे दिल्ली एग्रीकल्चर मार्केटिंग बोर्ड के भी 15 टन कूड़े को इस प्लांट से निष्पादित किया जाएगा। साथ ही गोयला डेयरी में 190 मीट्रिक टन गोबर का इस्तेमाल प्लांट में किया जाएगा। एक अधिकारी ने बताया कि जो भी गोबर से बायोगैस बनाने के प्लांट लगाएं जाएंगे उनका कार्य निविदा लेने वाली कंपनी को 20 वर्ष के लिए सौंपा जाएगा। इस दो नए बायोगैस प्लांट के बनने के बाद राजधानी में बिजली की समस्या काफी हद तक कम हा जाएगी।