टीम ने दुनियाभर में 50 से ज्यादा स्थानों पर एकत्र नमूनों का विश्लेषण किया, जो पृथ्वी की सतह के ऊपर, नीचे, गुफाओं और गहरे सागर के हाइड्रोथर्मल छिद्रों से लिए गए थे।
वाशिंगटन. ब्रह्मांड में पृथ्वी ही ऐसा ग्रह है, जहां जीवन है। लेकिन यह धरती से कितनी गहराई तक है, इसके बारे में कम ही लोग जानते हैं। हाल ही वैज्ञानिकों के एक दल ने इस पहेली को सुलझाने का दावा किया है।
अमरीका की वुड्स होल ओशनोग्राफिक इंस्टीट्यूशन के सूक्ष्मजीव पारिस्थितिकीविद एमिल रफ और जर्मनी के मैक्स प्लैंक इंस्टीट्यूट के इसाबेल एंजेलिस के नेतृत्व में आठ वर्ष किए गए अध्ययन में समुद्र तल से 491 मीटर (1610 फीट) नीचे और भूमि से 4375 मीटर (2.7 मील) नीचे तक जीवन का पता चला है। टीम ने दुनियाभर में 50 से ज्यादा स्थानों पर एकत्र नमूनों का विश्लेषण किया, जो पृथ्वी की सतह के ऊपर, नीचे, गुफाओं और गहरे सागर के हाइड्रोथर्मल छिद्रों से लिए गए थे। ये नमूने मिट्टी, तलछट, गहरे जलस्रोत, बोरहोल, खदानों आदि से निकले तरल पदार्थ से प्राप्त किए गए। रफ ने कहा, आमतौर पर माना जाता है कि पृथ्वी की सतह से जितना नीचे जाएंगे, उतनी ही ऊर्जा की उपलब्धता कम होती जाएगी और जीवित रहने वाले कोशिकाओं की संख्या घटती जाएगी, लेकिन हमेशा ऐसा नहीं होता। भूमिगत वातावरण में काफी विविधता है और कुछ जगह ये ऊर्जा बढ़ती भी है।
सूरज के बिना कैसे संभव हुआ जीवन
शोध दल के मुताबिक इन अधोलोक में जीवन बहुत अलग है। सूर्य के प्रकाश की ऊर्जा से वंचित ये सूक्ष्मजीव रासायनिक प्रक्रियाओं से ऊर्जा प्राप्त करते हैं। इसी से इन्हें हाइड्रोजन, मीथेन, सल्फर और अन्य ऊर्जा के स्रोत उपलब्ध हो पाते हैं। ये पारिस्थितिकी तंत्र टेक्टोनिक गति से चलते हैं।
अन्य ग्रहों के जीवन का अध्ययन करने में मिलेगी मदद
शोधकर्ताओं ने अध्ययन में 478 आर्किया और 964 बैक्टीरिया के साथ विभिन्न समुद्री और स्थलीय स्थानों से 147 मेटाजीनोम के सूक्ष्मजीवों की विविधता का विश्लेषण किया। इसमें स्थल और समुद्री जीवों का अंतर स्पष्ट था। रफ का कहना है, पृथ्वी के नीचे जीवन का पता लगाने वाले इस मॉडल से मंगल या अन्य ग्रहों पर जीवन की मौजूदगी का पता लगाया जा सकता है।