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6 हफ्ते में जमा जुर्माना जमा करने के आदेश
आपको बता दें कि अदालत ने साफ-साफ कहा कि याचिकाकर्ता अपनी मां को 6 हफ्ते के भीतर अपनी मां को जुर्माने की रकम का भुगतान करें। इससे पहले अदालत ने सुनवाई करते हुए ट्राइल कोर्ट के आदेश के खिलाफ दायर की गई याचिका को कानून के खिलाप आधारहीन बताते हुए खारिज कर दिया। बता दें कि इस मामले की सुनवाई जस्टिस मेहता ने की और सख्त टिप्पणी करते हुए कहा कि आजकल के बच्चे लालच में आकर संपत्ति के लिए अपने बुढ़े माता-पिता को परेशान करते हैं। दूसरी और अदालत में मां की ओर से पेश हुए वकील ने अदालत को बताया कि याचिकाकर्ता बेटे ने अपने मां के साथ उत्पीड़न करने का कोई भी मौका नहीं छोड़ा है। इस परिस्थिति में संपत्ति पर हक के लिए अदालत को रूख स्पष्ट करना चाहिए। वकील ने शंका जाहिर की कि यदि अदालत कोई स्पष्ट रूख नहीं बताता है तो याचिकाकर्ता बेटा अपनी मां को आगे भी परेशान करता रहेगा।
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क्या है मामला
आपको बता दें कि विधवा महिला की एक बेटी और एक बेटा है। बेटी ने चितरंजन पार्क स्थित संपत्ति में बंटवारे के लिए याचिका दायर की। महिला ने इसके लिए बेटी को समर्थन दिया। तो इस मामले को लेकर बेटे ने ट्रायल कोर्ट में याचिका दायर कर दी। इसी वर्ष मई में ट्रायल कोर्ट ने सुनवाई करते हुए बेटी के पक्ष में फैसला सुनाया तो बेटे ने दिल्ली हाईकोर्ट में इस फैसले के खिलाफ याचिका दायर कर अपील की। अब दिल्ली हाईकोर्ट में जस्टिस मेहता ने मामले की सुनवाई करते हुए कहा कि मैं यह समझ नहीं पा रहा कि पति की आधी संपत्ति पर पत्नी के हक को भला बेटा किस आधार पर चुनौती दे सकता है। अदालत ने कहा कि बेटे ने अपने पिता के जीवित रहते हुए इस अनुबंध पत्र को कभी चुनौती नहीं दी। हालांकि इन सबके बीच अदालत ने बेटे से पूछा कि क्या वह अपने रिश्तों को सुधारने के लिए याचिका वापस लने को तैयार है? इस पर बेटे ने कहा नहीं, वह इस मामले में अब फैसला और न्याय चाहता है।