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सूर्य के सक्रिय क्षेत्र और सौर धब्बों पर आदित्य एल-1 ने डाली नजर

देश की पहली सौर अंतरिक्ष वेधशाला आदित्य एल-1 के दो प्रमुख उपकरणों ने पिछले महीने घटी प्रचंड सौर तूफान की ऐतिहासिक घटना का अद्भूत चित्रण और विश्लेषण किया है। आदित्य एल-1 के ताजा अध्ययन से यह बात सामने आई है कि, किस तरह सौर ज्वालाएं सूर्य के प्रभामंडल (क्रोमीस्फीयर) को अति तप्त (गर्म) कर देती […]

बैंगलोरJun 11, 2024 / 06:41 pm

Rajeev Mishra

देश की पहली सौर अंतरिक्ष वेधशाला आदित्य एल-1 के दो प्रमुख उपकरणों ने पिछले महीने घटी प्रचंड सौर तूफान की ऐतिहासिक घटना का अद्भूत चित्रण और विश्लेषण किया है। आदित्य एल-1 के ताजा अध्ययन से यह बात सामने आई है कि, किस तरह सौर ज्वालाएं सूर्य के प्रभामंडल (क्रोमीस्फीयर) को अति तप्त (गर्म) कर देती हैं और किस प्रकार विशाल ऊर्जा जमा होती है।
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने कहा है कि, पिछले महीने सूर्य के अति सक्रिय क्षेत्र एआर-13664 से निकली सौर ज्वालाओं का बारीकी से अध्ययन किया गया है। यह घटना 8 से 15 मई के दौरान घटी थी। तब, प्रचंड सौर तूफान की ऐतिहासिक घटना का आदित्य एल-1 के दो पे-लोड से अध्ययन किया गया। वहीं, दो पे-लोड बैकिंग एवं कैलिब्रेशन मोड में थे और सीधे तौर पर 10 एवं 11 मई को घटना का अवलोकन नहीं कर पाए थे।
सुईट और कोरोनोग्राफ का अध्ययन
इस भू-चुंबकीय तूफान में बड़े पैमाने पर एक्स-क्लास, एम और सी-क्लास की ज्वालाएं भडक़ीं जिससे संचार और जीपीएस प्रणाली भी बाधित हुई। तीव्रता के मामले यह सौर तूफान 2003 के बाद सबसे शक्तिशाली था। इससे सूर्य पर चमकने वाला जो क्षेत्र बना वह 1859 में हुई ऐतिहासिक कैरिंगटन घटना जितना बड़ा था। इस घटना का भारत में 11 मई की सुबह प्रभाव पड़ा था। तब, आदित्य सोलर विंड पार्टिकल एक्सपेरिमेंट(एसपेक्स) ने सौर तूफान के प्रचंड वेग का अध्ययन किया। वहीं, सोलर विंड आयन स्पेक्ट्रोमीटर (स्विस) ने सौर तूफान में प्रोटोन और अल्फा कणों के प्रवाह को पकड़ा जो सौर विस्फोट की घटनाओं में बढ़ जाती हैं। अब इसरो ने आदित्य के उन दो प्रमुख उपकरणों सोलर अल्ट्रावायलट इमेजिंग टेलिस्कोप (सुईट) और विजिबल एमिसन लाइन कोरोनोग्राफ (वीईएलसी) के आंकड़े और तस्वीर जारी किए हैं।
सौर मैक्सिमा की गतिविधियां
इसरो ने कहा है कि, अल्ट्रावायलट इमेजिंग टेलिस्कोप ने 17 मई को सूर्य की कई तस्वीरें लीं। इन तस्वीरों में सूर्य डिस्क पर चमकीले क्षेत्र को दर्शाया जो सक्रिय हैं। इन तस्वीरों में सूर्य की सतह पर चुंबकीय रूप से अति सक्रिय क्षेत्र साफ नजर आते हैं। चुंबकीय क्षेत्र में परिवर्तन के कारण बड़े पैमाने पर सौर ज्वालाएं भडक़ीं। सूर्य के विषुवतीय प्रदेशों में कई सक्रिय क्षेत्र साफ देखे जा सकते हैं। वहीं, सुईट की कुछ तस्वीरों में सक्रिय क्षेत्र में सूर्य धब्बे भी नजर आ रहे हैं। वहीं, कोरोनोग्राफ ने 14 मई को सूर्य का अध्ययन किया और कई अहम आंकड़े जुटाए। इन अध्ययनों से सूर्य पर हर 11 साल के अंतराल पर घटने वाली सौर मैक्सिमा की गतिविधियों की पुष्टि होती है। सौर मैक्सिमा के दौरान सौर धब्बे नजर आने लगते हैं और सूर्य से प्रचंड लपटें निकलती हैं जो धरती को भी काफी प्रभावित करती हैं।
इसरो के तीन उपग्रहों ने किया अध्ययन
दरअसल, इस घटना का इसरो के तीन उपग्रहों आदित्य एल-1, चंद्रयान-2 और एक्सपोसैट के जरिए अध्ययन किया गया। आदित्य एल-1 ने इस घटना को लग्रांज-1 से पकड़ा वहीं, चंद्रयान-2 के आर्बिटन ने चांद की कक्षा में चक्कर लगाते हुए सौर विस्फोट की घटना को महसूस किया। चंद्रयान-2 के पे-लोड एक्सएसएम ने इस भू-चुंबकीय तूफान की कई दिलचस्प घटनाएं देखी। ऐसी घटनाओं के दौरान, सूर्य से निकलने वाली ऊर्जा के कारण ऊपरी वायुमंडल गर्म हो जाती है और उसका विस्तार होने लगता है। परिणामस्वरूप, निचली कक्षा में वायुमंडलीय घनत्व बढऩे लगता है और उपग्रहों पर अधिक खिंचाव पैदा होता है। इसरो के कई उपग्रहों की कक्षाओं पर इस घटना का व्यापक असर हुआ।

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