scriptLok Sabha Election 2024 : चुनाव पर चर्चा, न मुद्दों की फिक्र, फिर भी आदिवासियों के वोट साधने में जुटी भाजपा-कांग्रेस | Lok Sabha Election 2024: BJP and Congress candidates have not yet reached Sidhi Lok Sabha seat. | Patrika News
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Lok Sabha Election 2024 : चुनाव पर चर्चा, न मुद्दों की फिक्र, फिर भी आदिवासियों के वोट साधने में जुटी भाजपा-कांग्रेस

Lok Sabha Election 2024: लोकसभा का चुनाव प्रचार चरम पर है। प्रमुख दल भाजपा व कांग्रेस के प्रत्याशी भी अब तक नहीं पहुंचे हैं…..

सीधीApr 16, 2024 / 11:00 am

Ashtha Awasthi

Lok Sabha Election 2024: जिला मुख्यालय से 90 किमी दूर ताल गांव से सियासी सरगर्मी गायब है। छत्तीसगढ़ राज्य की सीमा पर बसे आदिवासी बाहुल्य इस गांव में न चुनाव पर चर्चा होती, न पार्टी-प्रत्याशी न मुद्दों पर। मतदान को तीन दिन बचे हैं, यहां अब तक कोई प्रत्याशी भी नहीं पहुंच पाया है।
मप्र की सीमा में बसे अंतिम गांव का मिजाज जानने के लिए 90 किमी का रास्ता तय कर पहुंचे तो न मतदान का उत्साह दिखा न सरकारी योजनाओं का लाभ। पीढिय़ों बाद गांव में एक पखवाड़ा पूर्व बिजली पहुंचने से बैगा परिवार के लोग जरूर उत्साहित मिले। जबकि, गांव में ही निवासरत आदिवासी सहित अन्य परिवार बिजली कनेक्शन नहीं मिलने से दुखी रहा। गांव के सुखसेन सिंह बताने लगे कि बैगा प्रोजेक्ट से बिजली आई है। इसलिए हम लोगों को कनेक्शन नहीं मिला।
गांव में चक्की नहीं है। गेहूं पिसाने चार किमी दूर छत्तीसगढ़ राज्य के चरखर गांव जाते हैं। मोबाइल नेटवर्क से लेकर गृहस्थी की छोटी-बड़ी सभी जरूरतें छत्तीसगढ़ के सीमावर्ती गांव से पूरी करनी पड़ती हैं। वोट मप्र में देते हैं, सुविधाओं का उपयोग छत्तीसगढ़ से करते हैं।

नदी के उस पार चकाचौंध देखकर कराह जाता है मन

जिले के आदिवासी विकासखंड कुसमी की ग्राम पंचायत हरदी के ताल और छड़हुला गांव में विकास आज तक नहीं पहुंचा है। ताल की 50 फीसदी आबादी बैगा परिवार की है। छड़हुला में 99 प्रतिशत गोड़ जनजाति रहते हैं। मप्र-छग राज्य की सीमा बनाने वाली मवई नदी पार कर लौट रहे छड़हुला के गोपाल सिंह गोड़ (68) के हाथ में टॉर्च थी। बताने लगे कि इसे चार्ज करने छत्तीसगढ़ के गांव चरखर गया था। ताल में बिजली आ गई है, लेकिन वहां की दूरी 5 किमी है।
चरखर गांव सीधे नदी पार करने से 1 किमी की दूरी पर है। पीढिय़ां बीत गईं, गांव में बिजली नहीं पहुंची। रात होते ही नदी के उस पार बसे गांव में बिजली की चकाचौंध देखकर मन कराह जाता है। छड़हुला के ही सुरेश यादव (24) ने बताया कि तीन साल पहले शादी में पंखा मिला था, लेकिन उसे चलाना नसीब नहीं हुआ। वह आज भी पेटी में रखा है।

न पुलिस बुला पाते न एंबुलेंस

ताल व छड़हुला गांव में मप्र का मोबाइल नेटवर्क नहीं है। कुछ साल पहले छत्तीसगढ़ राज्य के सीमावर्ती गांव में मोबाइल टावर लगने से यहां के युवा एंड्राइड मोबाइल का उपयोग करने लगे हैं। उन्हें पता है कि पुलिस बुलाने के लिए मोबाइल पर 100 डायल करना पड़ता है। एंबुलेंस के लिए 108, बिजली समस्या के लिए 1912 एवं किसी प्रकार की शिकायत सीएम हेल्प लाइन में करने के लिए 181। लेकिन, इन नंबरों को डायल करने पर भी किसी प्रकार की सहायता नहीं मिल पाती क्योंकि छग राज्य का नेटवर्क होने के कारण वहां की सुविधाओं के लिए फोन लग जाता है।
पता पूछने पर जैसे ही मप्र का निवासी होना बताते हैं, उन्हें सुविधाएं मुहैया कराने से इनकार कर दिया जाता है। गांव में जलजीवन मिशन के तहत न वाटर हेड बना है न नल कनेक्शन है। उज्ज्वला योजना के तहत पात्र महिलाओं को गैस सिलेंडर आज तक नहीं मिल पाया। आवास योजना, नि:शुल्क खाद्यान्न, आयुष्मान कार्ड जैसी सुविधाओं का लाभ मिला पर शत प्रतिशत को नहीं।

पांच साल में एक भी बार नहीं पहुंचीं सांसद

यहां के ग्रामीणों ने बताया कि सांसद रीती पाठक का पांच साल का कार्यकाल बीत गया। वे एक बार भी इस गांव में नहीं पहुंचीं। लोकसभा का चुनाव प्रचार चरम पर है। प्रमुख दल भाजपा व कांग्रेस के प्रत्याशी भी अब तक नहीं पहुंचे हैं। एक दिन दोनों दलों का एक प्रचार वाहन आया था। वह मुख्य मार्ग से घूम लौट गया। हरदी के सरपंच कमलेश सिंह बताते हैं कि गांव में बिजली पहुंचाने के लिए कई साल से संघर्ष कर रहे हैं।
पिछले विधानसभा चुनाव में मतदान का बहिष्कार भी किया था। आश्वासन के बाद काफी देर से मतदान शुरू हुआ। गांव में बिजली तो पहुंच गई, लेकिन बैगा प्रोजेक्ट के तहत बिजली पहुंचने से अन्य परिवारों को कनेक्शन नहीं दिया गया। इसके लिए प्रयास अभी जारी है।

ऐसा है हाल

ग्राम पंचायत हरदी की आबादी-1860
ग्राम पंचायत में मतदाता- 1277
ताल व छड़हुला गांव की आबादी-737
दोनों गांव में मतदाता- 488
बैगा परिवार-50
जनसंख्या- 167

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