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लोकसभा चुनावः दलबदलू नेताओं का भाजपा को नहीं मिला फायदा, कांग्रेस रही फायदे में

लोकसभा चुनाव से पहले कुछ नेता भाजपा व अन्य दल छोड़कर कांग्रेस में आए तो बड़ी संख्या में कांग्रेस नेताओं ने भाजपा का दामन थामा। इनमें कई पूर्व मंत्री, पूर्व सांसद और पूर्व विधायक भी शामिल थे। दलबदलू नेता टिकट लेने में भी कामयाब रहे। भाजपा और कांग्रेस ने दो-दो सीटों पर इन नेताओं को उम्मीदवार बनाया। लेकिन भाजपा के दोनों उम्मीदवारों को हार मिली, जबकि कांग्रेस के दोनों उम्मीदवारों ने चुनाव में बाजी मारी।

जयपुरJun 11, 2024 / 06:50 pm

GAURAV JAIN

– भाजपा-कांग्रेस से दो-दो नेता दलबदल कर उतरे मैदान में, कांग्रेस के दोनों जीते, भाजपा के हारे

– चुनाव से ठीक पहले कांग्रेस के कई बड़े नेता पार्टी छोड़ आए थे भाजपा में, नहीं मिला लाभ
जयपुर. लोकसभा चुनाव से पहले कुछ नेता भाजपा व अन्य दल छोड़कर कांग्रेस में आए तो बड़ी संख्या में कांग्रेस नेताओं ने भाजपा का दामन थामा। इनमें कई पूर्व मंत्री, पूर्व सांसद और पूर्व विधायक भी शामिल थे। दलबदलू नेता टिकट लेने में भी कामयाब रहे। भाजपा और कांग्रेस ने दो-दो सीटों पर इन नेताओं को उम्मीदवार बनाया। लेकिन भाजपा के दोनों उम्मीदवारों को हार मिली, जबकि कांग्रेस के दोनों उम्मीदवारों ने चुनाव में बाजी मारी।
कांग्रेस ने आरएलपी से आए उम्मेदाराम को बाड़मेर और भाजपा से आए सांसद राहुल कस्वां को चूरू से उम्मीदवार बनाया। दोनों ने चुनाव जीता। वहीं भाजपा ने कांग्रेस से आए महेन्द्रजीत सिंह मालवीया को बांसवाड़ा और कांग्रेस से आईं ज्योति मिर्धा को नागौर से उम्मीदवार बनाया, लेकिन दोनों को चुनाव में हार का सामना करना पड़ा।
20 बड़े नेताओं सहित काफी लोग भाजपा में आए

लोकसभा चुनाव से ठीक पहले कांग्रेस के करीब 20 बड़े नेताओं सहित बड़ी संख्या में कांग्रेसियों ने भाजपा का दामन थामा था। बड़े नेताओं में पूर्व केन्द्रीय मंत्री, पूर्व सांसद, पूर्व विधायक और कांग्रेस संगठन में तमाम बड़े पदों पर रहे नेता शामिल थे। नागौर, जयपुर और अलवर क्षेत्र सहित कई अन्य इलाकों के नेता भाजपा में शामिल हुए थे। लेकिन नागौर और शेखावाटी में भाजपा को करारी हार का सामना करना पड़ा। वहीं अन्य क्षेत्रों में जीत का अंतर पिछले चुनावों के मुकाबले घटकर काफी कम रह गया। जयपुर ग्रामीण में भी जीत बहुत कम वोटों से हुई है।
अब भविष्य को लेकर बढ़ी चिंता

राजस्थान में 11 सीट गंवाने के बाद भाजपा में इन नेताओं का भविष्य क्या होगा, यह तय नहीं है। हालांकि, संगठन के कई पदाधिकारियों ने इन नेताओं की पार्टी में जरूरत पर चर्चा जरूर शुरू कर दी है। भाजपा ने चुनाव से ठीक पहले प्रदेश से लेकर जिला स्तर तक छोटे-बड़े नेता, समाज प्रमुख, सरपंच, सामाजिक संगठनों के पदाधिकारी, पूर्व आईएसएस-आईपीएस को पार्टी में शामिल किया था। प्रदेशभर में इनकी संख्या 5 हजार से ज्यादा होने का दावा भी किया गया था। पार्टी ने दावा किया था कि इनसे कांग्रेस के परंपरागत मतों में भी सेंध लगेगी, लेकिन ऐसा हुआ नहीं हुआ।
माया मिली न राम, सांसद भी नहीं बने, विधायकी भी गई

आदिवासी बेल्ट में खुद को मजबूत करने के लिए भाजपा ने कांग्रेस विधायक महेन्द्रजीत सिंह मालवीय को पार्टी में शामिल किया। मालवीया ने भाजपा में आते ही विधायक पद से इस्तीफा दिया और डूंगरपुर-बांसवाड़ा सीट से सांसद का चुनाव लड़ा, लेकिन जनता ने घर का रास्ता दिखा दिया।
इन दिग्गजों ने थामा था भाजपा का दामन…

पूर्व सांसद मानवेन्द्र सिंह, पूर्व केन्द्रीय मंत्री लालचंद कटारिया, पूर्व मंत्री राजेन्द सिंह यादव, पूर्व विधायक रिछपाल सिंह मिर्धा, आलोक बेनीवाल, विजयपाल सिंह मिर्धा, सुरेश टांक, परम नवदीप, पुखराज गर्ग, सुशील कंवर पलाडा, पूर्व सांसद गोपाल सिंह, खिलाडीलाल बैरवा, करण सिंह यादव, अलवर जिला प्रमुख बलबीर छिल्लर के अलावा प्रताप पूनिया, सुरेश यादव सहित अन्य नेता हैं।
इन सीटों पर प्रभाव पड़ने का था दावा, पर हकीकत यह…

-चूरूः पिछले चुनाव में 3,34,402 वोट से सीट जीती थी, लेकिन इस बार हार का सामना करना पड़ा। राहुल कस्वां ने 72,737 वोट से सीट जीती।
-अलवरः पिछली बार 3,29,971 वोट से जीत मिली थी, लेकिन इस बार जीत में वोट मार्जिन का अंतर घटकर 48282 रह गया।

-नागौरः वर्ष 2019 के चुनाव में 1,81,260 वोट से जीत दर्ज की। इस बार 42225 वोट मार्जिन से हार गए।
-बाड़मेर-जैसलमेरः पिछले चुनाव में 3,23,808 वोट से जीत दर्ज की थी। इस चुनाव में भाजपा प्रत्याशी तीसरे नम्बर पर रहे।

-डूंगरपुर-बांसवाड़ाः पिछला चुनाव 3,05,464 मतों के अंतर से जीता, पर अब 2,47,054 मतों के मार्जिन से हार का सामना करना पड़ा
-जयपुर ग्रामीणः पिछले चुनाव में 3,93,171 वोट मार्जिन से जीत दर्ज की। इस बार केवल 1615 मत से बमुश्किल जीते।

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