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सेहत को लेकर लोग हुए जागरूक…किसानों ने शुरू की जैविक खेती

सेहत को लेकर लोगों में काफी जागरूकता आने लगी है। इसके चलते किसानों ने स्वयं देसी तरीके से खाद बनाकर ऑर्गेनिक खेती करना शुरू कर दिया है। जिसमें वह गोबर, गोमूत्र, आक व करंज की पत्तियां, गुड़, बेसन एवं प्याज-लहसुन इत्यादि का इस्तेमाल करते हैं।

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इसी के साथ बहुत से किसान एक अलग तरह का अर्क बनाकर भी खेतों में छिड़काव कर रहे हैं।

हर महीने 50 से 60 हजार रूपए का मुनाफा
देसी खाद के साथ ही अर्क भी करते हैं तैयार

आर्गेनिक सब्जियों के भाव अच्छे मिलने के कारण किसान इस ओर कदम बढ़ा रहे हैं। गोबर, गोमूत्र, आक की पत्तियां, गुड़, बेसन एवं प्याज-लहसुन आदि से स्वयं खाद तैयार करते हैं। क्षेत्र के समीपवर्ती खटामला पंचायत के निवासी रोशन लाल वैष्णव हर सीजन में केवल लौकी एवं तुरई की ऑर्गेनिक खेती से सालाना लाखों रुपए कमा रहे हैं।
अर्क से अच्छी पैदावार
किसान ने बताया, पशु पक्षियों की पीठ, घोड़े की लीद, बकरी की मिंगनी एवं जीवामृत से अर्क तैयार किया जाता है, जो फसलों की गुणवत्ता में रामबाण साबित होता है। इसी के साथ एक ड्रम में गोबर, गोमूत्र, आक की पत्तियां, गुड़, बेसन एवं प्याज -लहसुन को 8 से 10 दिन सड़ाकर एक मिश्रण तैयार करते हैं। इसके बाद उसमें वर्मी कम्पोस्ट मिलाकर पानी के साथ खेत में डालते हैं। इससे सभी सब्जियों में बराबर मात्रा में पोषक तत्व पहुंच जाते हैं।

दो माह में फसल तैयार
जैविक तरीके से खेती करने से दोगुना उत्पादन हो गया है। एक बार बीज बोने के बाद हल्की सिंचाई करने से मात्र दो महीने में तुरई व लौकी के फल लगने लग जाते हैं। खरपतवार भी बहुत कम होती है। कम मेहनत में अच्छी पैदावार हो रही है।

  • किसान रोशन लाल वैष्णव

इनका कहना है
ऑर्गेनिक सब्जियों की बढ़ती मांग के चलते किसानों ने देसी खाद और अर्क बनाकर खेती करना शुरू कर दिया है। इस तरह से उगाई गई सब्जियों से कैंसर, हार्ट प्रॉब्लम, बीपी, शुगर जैसे रोगों के होने की संभावना घट जाती है। -नारायण लाल रेगर, कृषि अधिकारी खटामला

  • भरत कुमार रजक , केलवा (राजसमंद)