scriptशिफ्टिंग का ढोंग : शहर से काटने के बाद राजघाट रोड पर लगाए पेड़ सूखे, नौ रोपे ही नहीं | Pretense of shifting: Trees planted on Rajghat Road after being cut from the city have dried up, nine were not planted | Patrika News
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शिफ्टिंग का ढोंग : शहर से काटने के बाद राजघाट रोड पर लगाए पेड़ सूखे, नौ रोपे ही नहीं

शहर में विकास के नाम पर लगातार पेड़ों की कटाई हो रही है। विकास के यह ठेकेदार पर्यावरण के दुश्मन बन गए हैं। जिम्मेदार इन पेड़ों को शिफ्टिंग करने का ढोंग तो कर रहे हैं,

सागरMay 21, 2024 / 01:01 pm

Madan Tiwari

शहर से काटने के बाद राजघाट रोड पर लगाए पेड़ सूखे

शहर से काटने के बाद राजघाट रोड पर लगाए पेड़ सूखे

पर्यावरण का दुश्मन बना विकास, पांच गुना हरियाली बढ़ाने के दावे झूठे साबित हुए, शहर के हजारों पेड़ काटे, शिफ्ट किए सौ भी जिंदा नहीं

सागर. शहर में विकास के नाम पर लगातार पेड़ों की कटाई हो रही है। विकास के यह ठेकेदार पर्यावरण के दुश्मन बन गए हैं। जिम्मेदार इन पेड़ों को शिफ्टिंग करने का ढोंग तो कर रहे हैं, लेकिन हकीकत कुछ और ही है। स्मार्ट सिटी ने सड़कों के चौड़ीकरण के नाम पर सैकड़ों पेड़ों की बलि चढ़ा दी है, इसमें से करीब 22 पेड़ राजघाट रोड पर नए बस स्टैंड के पास में शिफ्ट किए गए थे, लेकिन रोपे गए 13 पेड़ महीनों बाद भी पनप नहीं पाए हैं तो नौ पेड़ों को शिफ्टिंग साइट पर ले जाने के बाद भी रोपा नहीं गया। नतीजतन वे वहीं पड़े-पड़े सूख गए हैं।
  • दावे भी झूठे साबित हुए
    शहर से हरियाली समाप्त होने का शुरूआत में लोगों ने विरोध भी किया था। जिस पर जिम्मेदारों का तर्क था कि वे जितने पेड़ काटेंगे उससे पांच गुना ज्यादा नए पेड़ तैयार करके देंगे, लेकिन यह दावे और वादे झूठे साबित हुए। पिछले पांच-छह साल की बात करें तो एनएच और स्मार्ट सिटी ने शहर व शहर के आसपास लगी सड़कों के किनारे लगे दो हजार से ज्यादा पेड़ काट दिए हैं। स्मार्ट सिटी ने कुछ पेड़ों की शिफ्टिंग भी की, लेकिन उसमें से सौ पेड़ भी जिंदा नहीं है।
  • शिफ्ट किए अधिकांश पेड़ उपयोगी नहीं
    नगर निगम व स्मार्ट सिटी ने जिन पेड़ों को शिफ्ट करके दूसरी जगहों पर रोपा है, उसमें अधिकांश पेड़ सूलबबूल, बबूल, कनेर आदि हैं। यह पेड़ों की न तो उम्र ज्यादा होती है और न ही यह उपयोगी हैं। जबकि शहर से कटे पेड़ों में पीपल, बरगद, कदम, नीम आदि के पेड़ थे जो बहुउपयोगी हैं और पर्यावरण संरक्षण में भी मददगार हैं।
  • एनएच से नहीं हुआ तो वन विभाग को राशि दी
    एनएच सागर संभाग ने करीब पांच साल पहले मोतीनगर चौराहे से लेहदरा नाका तक और मकरोनिया चौराहे से बहेरिया तक सड़क चौड़ीकरण का काम किया था। इस दौरान इन सड़कों पर खड़े 1200 से ज्यादा पेड़ काटे थे। इनमें पीपल, बरगद, अर्जुन, नीम सहित अन्य प्रजातियों के इतने विशाल पेड़ों को काटा गया था जो सौ साल से ज्यादा पुराने थे। एनएच के अधिकारियों ने दावा किया वे इन पेड़ों को काटने के एवज में पांच गुना हरियाली विकसित करेंगे। इसके लिए रतौना के सामने पौध रोपण भी कराया, लेकिन रखरखाव के अभाव में प्रयोग विफल हो गया। इसके बाद एनएच ने खुद की जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ते हुए वन विभाग को हरियाली विकसित करने के लिए करीब 8 से 10 लाख रुपए दिए हैं, लेकिन यह किसी को नहीं पता कि इस राशि से हरियाली कहां विकसित की गई है।
  • एनएच से नहीं हुआ तो वन विभाग को राशि दी
    एनएच सागर संभाग ने करीब पांच साल पहले मोतीनगर चौराहे से लेहदरा नाका तक और मकरोनिया चौराहे से बहेरिया तक सड़क चौड़ीकरण का काम किया था। इस दौरान इन सड़कों पर खड़े 1200 से ज्यादा पेड़ काटे थे। इनमें पीपल, बरगद, अर्जुन, नीम सहित अन्य प्रजातियों के इतने विशाल पेड़ों को काटा गया था जो सौ साल से ज्यादा पुराने थे। एनएच के अधिकारियों ने दावा किया वे इन पेड़ों को काटने के एवज में पांच गुना हरियाली विकसित करेंगे। इसके लिए रतौना के सामने पौध रोपण भी कराया, लेकिन रखरखाव के अभाव में प्रयोग विफल हो गया। इसके बाद एनएच ने खुद की जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ते हुए वन विभाग को हरियाली विकसित करने के लिए करीब 8 से 10 लाख रुपए दिए हैं, लेकिन यह किसी को नहीं पता कि इस राशि से हरियाली कहां विकसित की गई है।
  • पुनर्जीवित करने का प्रयास करेंगे
    पूर्व में जहां पेड़ों की शिफ्टिंग की गई थी, उनकी वस्तुस्थिति देखते हैं। अभी हालही में संजय ड्राइव पर जो तीन पेड़ शिफ्ट किए थे वह जीवित हैं। राजघाट रोड पर शिफ्ट किए पेड़ों को भी पुनर्जीवित करने के लिए प्रयास करेंगे।
    राजकुमार खत्री, आयुक्त, नगर निगम

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