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Sports in chhindwara: ओलम्पिक स्टेडियम की स्थिति दयनीय, अच्छे खिलाड़ी की उम्मीद बेमानी

सुविधाएं न मिलने से खिलाड़ी परेशान

छिंदवाड़ाJun 10, 2024 / 12:54 pm

ashish mishra

छिंदवाड़ा. जिला मुख्यालय पर फुटबॉल खिलाडिय़ों के लिए एकमात्र ओलम्पिक स्टेडियम की हालत बदतर हो गई है। थोड़ी सी बारिश में ग्राउंड का नजारा खेत जैसा लग रहा है। बड़ी बात यह है कि ग्राउंड में छोटे-छोटे कंकड़ भी है। इससे खिलाड़ी चोटिल हो रहा है। इस समय शासन के निर्देश पर ग्रीष्मकालीन खेल प्रशिक्षण शिविर भी आयोजित हो रहा है। ग्राउंड में हर दिन शाम को लगभग 250 खिलाड़ी एकत्रित होते हैं। इनमें 8 से लेकर 25 साल तक के बालक-बालिका खिलाड़ी शामिल हैं। हर दिन ग्राउंड की बदतर स्थिति की वजह से खिलाड़ी चोटिल हो रहे हैं। चार साल से स्टेडियम बदहाली का शिकार हो गया है। जिम्मेदारों ने स्टेडियम के रखरखाव से मुंह मोड़ लिया है। ग्राउंड का हाल यह है कि गर्मी में यहां धूल के गूबार उड़ते हैं। सर्दी में गाजर घास परेशान करते हैं और बारिश में ग्राउंड दलदल में तब्दील हो जाता है। उल्लेखनीय है कि वर्ष 2019 में खेल एवं युवा कल्याण विभाग ने ओलम्पिक स्टेडियम ग्राउंड के जीर्णोद्धार की जिम्मेदारी भोपाल की सबदर कंस्ट्रक्शन एजेंसी को सौंपी। इसके बाद ग्राउंड में कार्य किए गए। हालांकि पानी की वजह से कार्य रूक गया। इसी दौरान ग्राउंड के चारों तरफ नाली बनवाने को लेकर राजनीतिक दखल होने लगा। ऐसे में निर्माण एजेंसी ने किनारा कर लिया। इसके बाद से ही ग्राउंड का कार्य पूरा नहीं हो पाया। सवाल यह है कि अगर हम खिलाडिय़ों को अच्छी सुविधा नहीं देंगे तो उनसे अच्छे प्रदर्शन की उम्मीद कैसे कर सकते हैं।
नगर निगम ने बिछाई थी पाइप लाइन
पत्रिका ने ओलम्पिक स्टेडियम ग्राउंड की बदहाल स्थिति को लेकर खबरें प्रकाशित की थी। इसके पश्चात तत्कालिन कलेक्टर सौरभ कुमार सुमन और फिर शीतला पटले ने मामला संज्ञान में लिया था। नगर निगम के माध्यम से पाइप लाइन बिछाई गई। इसके बाद खनिज विभाग मद से ग्राउंड के अन्य कार्य किए जाने थे। लेकिन इसी दौरान कलेक्टर का तबादला हो गया और मामला फिर से ठंडे बस्ते में चला गया।
उच्च स्तरीय खेल स्पर्धा भी नहीं हो पा रही
छिंदवाड़ा जिला मुख्यालय में उच्चस्तरीय फुटबॉल ग्राउंड न होने की वजह से संभाग या फिर राज्यस्तरीय प्रतियोगिता भी नहीं हो पा रही है। कुछ वर्ष पहले जिला फुटबॉल संघ ने राज्यस्तरीय स्पर्धा कराने के लिए आवेदन किया था, लेकिन दिल्ली से आई टीम ने ग्राउंड को रिजेक्ट कर दिया। ऐसे में छिंदवाड़ा फुटबॉल संघ को सिवनी में आयोजन करना पड़ा।
खिलाडिय़ों को आ रही यह परेशानी
वर्ष 2018 तक ओलम्पिक स्टेडियम ग्राउंड फुटबॉल खिलाडिय़ों के लिए काफी हद तक बेहतर था। इसी का परिणाम था कि जिले के कई महिला-पुरुष फुटबॉल खिलाड़ी इस ग्राउंड में प्रेक्टिस कर संतोष ट्राफी एवं ओपन माध्यम से अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिता खेल चुके हैं। वर्ष 2019 से इस ग्राउंड की स्थिति खराब होने से खिलाड़ी ठीक से प्रेक्टिस नहीं कर पा रहे हैं।
हर माह 89 हजार रुपए की कमाई
जिला ओलम्पिक संघ के पास स्टेडियम के आसपास 97 दुकान संचालित की जाती हैं। इन दुकानों से संघ को हर माह 79,074 रुपए की आमदनी होती है। वहीं बैडमिंटन हॉल से भी हजारों रुपए की आय होती है।
पत्रिका की खबर पर पूर्व कलेक्टर ने लिया था संज्ञान
वर्ष 2022 में पत्रिका ने अभियान चलाकर जिम्मेदारों का ध्यान दिलाया था। तत्कालिन कलेक्टर सौरभ कुमार सुमन ने मामले को संज्ञान में भी लिया। जिम्मेदार अधिकारियों को जिम्मेदारी सौंपी। नगर निगम के माध्यम से ग्राउंड में पानी के लिए पाइप लाइन भी बिछाई गई। इसके बाद फिर से मामला ठंडे बस्ते में चला गया। इसके बाद कलेक्टर शीतला पटले ने भी प्रयास किएए लेकिन इस बीच उनका तबादला हो गया।
इनका कहना है..
इस संबंध में जल्द ही मीटिंग बुलाकर जिला खेल एवं युवा कल्याण अधिकारी से चर्चा करेंगे। खिलाडिय़ों के लिए बेहतर सुविधाएं उपलब्ध कराई जाएंगी।
शीलेन्द्र सिंह, कलेक्टर, छिंदवाड़ा

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