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दीमकों से दुनिया को हर साल 3.33 लाख करोड़ की चपत, ग्लोबल वार्मिंग से फैलने की आशंका

जलवायु पैटर्न में बदलाव विनाशकारी कीट के अनुकूल

नई दिल्लीMay 07, 2024 / 12:49 am

ANUJ SHARMA

ब्रूसेल्स. दीमकों को लेकर नए शोध में बताया गया है कि जैसे-जैसे जलवायु के पैटर्न में बदलाव आ रहा है, दुनिया के ज्यादातर शहर इस विनाशकारी कीट की चपेट में आ सकते हैं। बढ़ता तापमान ठंडे क्षेत्रों को भी दीमकों के अनुकूल बना रहा है। दीमकों के कारण दुनिया को हर साल करीब 3.33 लाख करोड़ रुपए का नुकसान हो रहा है।नियोबायोटा जर्नल में प्रकाशित बेल्जियम की ब्रूसेल्स यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों के शोध में बताया गया कि पृथ्वी पर दीमक अविश्वसनीय रूप से बड़ी संख्या में मौजूद हैं। ये उष्णकटिबंधीय जंगलों के लिए पारिस्थितिकीय रूप से महत्त्वपूर्ण हैं, लेकिन इनकी कुछ प्रजातियां शहरों के लिए बड़ा सिरदर्द बन चुकी हैं। शोधकर्ताओं ने इनके संभावित प्रसार की जानकारी के लिए विशेष कंप्यूटर मॉडल का इस्तेमाल किया। उन्होंने जलवायु परिस्थितियों, भूमि के उपयोग में बदलाव, ऊंचाई, शहरीकरण, मानव आबादी, शहरों तक दीमकों की पहुंच जैसे विभिन्न कारकों का विश्लेषण किया।
ठंडे क्षेत्रों में भी पहुंच

शोधकर्ताओं का कहना है कि वैश्विक स्तर पर जिस तरह जलवायु में बदलाव आ रहे हैं और दुनिया गर्म हो रही है, उसके कारण यह आक्रामक कीट उन शहरों तक पहुंच सकते हैं, जहां पहले इनका नामो-निशान नहीं था। पेरिस, ब्रूसेल्स, लंदन, न्यूयॉर्क और टोक्यो जैसे ठंडे समशीतोष्ण क्षेत्र भी इनकी जद में होंगे।
निजी जहाजों में सामान के साथ नए स्थानों पर

शोध के मुताबिक दीमकों की फौज उन क्षेत्रों में ज्यादा फैल सकती है, जहां शहरीकरण की दर और कनेक्टिविटी ज्यादा है। निजी जहाजों से दूर-दराज के क्षेत्रों में भेजे जाने वाले लकड़ी के फर्नीचर और किताबों समेत अन्य सामान इस कीट को एक जगह से दूसरी जगह पहुंचा देते हैं।

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