ये है दो साल का हिसाब पंचायती राज विभाग के नियमों के अनुसार जिला परिषद के जिला प्रमुख को साल में 240 दिन यानी एक महीने में औसतन 20 दिन सरकारी वाहन उपलब्ध कराया जा सकता है। खर्च की गई राशि के अनुसार औसतन प्रतिमाह करीब 61 हजार इस वाहन पर खर्च किए गए हैं। प्रतिदिन के हिसाब से 2300 रुपए खर्च किए गए। ये राशि हर रोज खर्च किए गए डीजल की है। अन्य खर्च मिला लें तो यह राशि 3000 रुपये प्रतिदिन से अधिक आती है। सफारी पर प्रतिवर्ष करीब 7.50 लाख का खर्चा हुआ है। इसमें डीजल से लेकर टायर बदलवाना आदि शामिल है। ये खर्च का हिसाब 14 दिसंबर 2021 से 31 दिसंबर 2023 तक का है।
ये कहते हैं नियम जिला प्रमुख को साल में 120 दिन यानी महीने में 10 दिन गाड़ी उपलब्ध कराए जाने के नियम थे, लेकिन कुछ सालों पहले पंचायती राज विभाग ने इसे बढ़ाकर 240 दिन यानी महीने में 20 दिन कर दिया। बढ़ी हुई 120 दिन की अवधि का भुगतान जिला परिषद की निजी आय से करने का नियम था, मगर जिला परिषद ने साल के 365 दिन वाहन उपलब्ध कराया और भुगतान जिला परिषद की निजी आय से ही किया गया। नियम ये भी है कि आवंटित वाहन को जिले से बाहर ले जाने के लिए पंचायती राज विभाग के निदेशक की अनुमति आवश्यक है।
इनसेट— 18 लाख की सफारी और आएगी जिला परिषद ने 8 माह पहले नई सफारी के लिए फाइल चलाई थी। उस दौरान राजस्थान पत्रिका ने मुद्दा उठाया था कि जब दो गाडि़यां विभाग में उपलब्ध हैं तो नई गाड़ी पर 18 लाख क्यों खर्च किए जा रहे हैं। उस दौरान इस पर ब्रेक लग गया था लेकिन अब फिर से नई गाड़ी लाने की तैयारी है।
फैक्ट फाइल : 1 वाहन की कीमत : 17.82 लाख डीजल खर्च : 10.96 लाख सर्विस खर्च : 2.12 लाख टायर पर खर्च : 67180 एसेसरीज पर खर्च : 60744
अन्य खर्च : 28500 फैक्ट फाइल- 2 वाहन पर प्रतिमाह औसत खर्च : 61 हजार 20 दिन के हिसाब से प्रतिदिन खर्च : 3050 माह में उपयोग स्वीकृत : 20 दिन
वर्ष में उपयोग स्वीकृत : 240 दिन वाहन पर प्रतिवर्ष औसत खर्च : 7.50 लाख लॉगबुक के आधार पर ही गाड़ी चली है। जहां गाड़ी गई है, वहां के टूर उसमें लिखे गए हैं। गाड़ी निजी उपयोग में नहीं लाई गई है। जनता के कार्य के लिए ग्रामीण इलाकों में गए हैं। जनता के कार्य किए हैं।
– बलबीर सिंह छिल्लर, जिला प्रमुख अलवर