गर्मी में गांवों में गहराया पानी का संकट, जल योजनाएं नकारा बीस लाख रुपए की लागत से बनी पेयजल टंकी का डेढ़ दशक बाद भी लोगों को लाभ नहीं मिल पाया है
जलदाय विभाग के अधिकारी-कर्मचारियों को उदासीनता के चलते दलपुरा गांव में बालाजी मंदिर के समीप डेढ़ दशक पहले बनी पर पेयजल टंकी अनुपयोगी साबित हो रही है। करीब बीस लाख रुपए की लागत से बनी पेयजल टंकी का डेढ़ दशक बाद भी लोगों को लाभ नहीं मिल पाया है।
गुढ़ाचंद्रजी. जलदाय विभाग के अधिकारी-कर्मचारियों को उदासीनता के चलते दलपुरा गांव में बालाजी मंदिर के समीप डेढ़ दशक पहले बनी पर पेयजल टंकी अनुपयोगी साबित हो रही है। करीब बीस लाख रुपए की लागत से बनी पेयजल टंकी का डेढ़ दशक बाद भी लोगों को लाभ नहीं मिल पाया है। दलपुरा गांव की पेयजल समस्या के निराकरण के लिए तत्कालीन विधायक बत्तीलाल मीणा ने 2005 में करीब 20 लाख रुपए की लागत से पेयजल योजना के तहत टंकी व नलकूप स्वीकृत कराया था। इसके बाद विभाग द्वारा 20 लाख रुपए की लागत से पेयजल टंकी का निर्माण कराया गया। इसके लिए एक नलकूप का भी निर्माण कराया था, लेकिन नलकूप में कम पानी निकलने के कारण विभाग ने इसे बंद कर दिया गया। इसके बाद विभाग ने इस नलकूप को जनता जल योजना के अन्य नलकूपों से भी नहीं जोड़ा गया। स्थिति यह है कि 20 लाख रुपए की लागत से बनी टंकी का ग्रामीणों को अब तक लाभ नहीं मिल पाया है। गांव में पेयजल संकट दलपुरा सरपंच प्रतिनिधि धुंधीराम मीणा ने बताया कि गांव में पेयजल की विकट समस्या है। अधिकांश हैडपंप खराब पड़े हुए हैं। प्राचीन जलस्रोत भी सूख चुके हैं। जिससे गांवों में पेयजल समस्या चल रही है। लोगों को कई किलोमीटर दूर से पानी लाकर प्यास बुझानी पड़ रही है। महिलाएं दिनभर पानी के लिए मशक्कत करती रहती है। इस समय भीषण गर्मी में टैंकर मंगवाने पड़ रहे हैं। मवेशी भी पानी के लिए भटक रहे हैं। पानी के बिना बड़ी समस्या चल रही है। न चंबल परियोजना का लाभ मिल रहा है न घर-घर जल योजना का सहारा है। सरपंच संगीता देवी ने बताया कि जल जीवन मिशन के तहत दो महीने पहले विभाग की ओर से पानी की सप्लाई की गई थी। सरपंच ने बताया कि गर्मी में पानी के लिए संकट बना हुआ है। रखरखाव बिना होने लगी क्षतिग्रस्त डेढ़ दशक बाद भी पेयजल टंकी का उपयोग नहीं होने के साथ इसका रखरखाब भी नहीं किया जा रहा है। जिससे टंकी क्षतिग्रस्त होने लगी है। टंकी से नीचे का चबूतरा क्षतिग्रस्त हो गया है। टंकी से प्लास्टर भी उखडऩे लगा है। लेकिन कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा है। ऐसे में टंकी के निर्माण में लगी लागत भी बेकार साबित हो रही है। टंकी में पानी भरने के लिए बनाया गया जीएलआर भी नकारा हो गया है।
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