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एआइ और इमर्सिव तकनीक का कमाल : महत्वपूर्ण स्मारकों का कर सकेंगे आभासी दौरा

आने वाले समय में लोग 530 स्मारकों का आभासी दौरा कर सकेंगे। इनमें से सभी को को विभाग की वेबसाइट पर अपलोड किया जाएगा। कर्नाटक स्टेट काउंसिल फॉर साइंस एंड टेक्नोलॉजी को स्मारकों की 3डी लेजर मैपिंग का काम सौंपा गया है

बैंगलोरMay 22, 2024 / 09:08 pm

Nikhil Kumar

व्यापक अनुभव के लिए 3डी इमर्सिव और जेनरेटिव एआइ तकनीक का उपयोग करके चयनित साइटों का वॉकथ्रू तैयार किया जाएगा

पुरातत्व, संग्रहालय और विरासत विभाग (डीएएमएच) रुचि जगाने और पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए Karnataka में महत्वपूर्ण स्मारकों का 3डी वॉकथ्रू (virtual tour) पेश करेगा।

डीएएमएच ने शुरुआत के लिए 10 स्मारकों को अंतिम रूप दिया है। मैसूरु में वराहस्वामी मंदिर, चामराजनगर में चामराजेश्वर मंदिर, मण्ड्या जिले में कल्याणी (टैंक) व भुवनेश्वरी मंटप, चित्रदुर्ग जिले में लक्ष्मीनरसिम्हा मंदिर, शिवमोग्गा जिले के भद्रावती में लक्ष्मीनरसिम्हास्वामी मंदिर, गदग जिले में वीरनारायण मंदिर, बेलगावी जिले में काशीलिंग मंदिर और विजयनगर जिले में विरुपाक्ष मंदिर आदि सूची में हैं। आने वाले समय में लोग 530 स्मारकों का आभासी दौरा कर सकेंगे। इनमें से सभी को को विभाग की वेबसाइट पर अपलोड किया जाएगा। कर्नाटक स्टेट काउंसिल फॉर साइंस एंड टेक्नोलॉजी को स्मारकों की 3डी लेजर मैपिंग का काम सौंपा गया है। काम अब पूरा हो चुका है।
पर्यटन को बढ़ावा

डीएएमएच के आयुक्त ए. देवराज ने बताया कि परियोजना को बजटीय समर्थन प्राप्त हुआ है और इस उद्देश्य के लिए एक करोड़ रुपए अलग रखे गए हैं। व्यापक अनुभव के लिए 3डी इमर्सिव और जेनरेटिव एआइ तकनीक का उपयोग करके चयनित साइटों का वॉकथ्रू तैयार किया जाएगा। इस परियोजना का उद्देश्य आभासी दौरे का अनुभव करने वाले लोगों के बीच वास्तव में साइट पर जाने के लिए रुचि पैदा करना है। इससे पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा।
जीवंत हो जाएंगे

देवराज ने कहा कि स्मारकों की 3डी लेजर स्कैनिंग उच्चतम गुणवत्ता और रिजॉल्यूशन वाली है। स्तंभों या स्मारकों के अन्य हिस्सों के शीर्ष पर छत और नक्काशी का विवरण है, जो सामान्य रूप से नग्न आंखों को दिखाई नहीं देता हैं। लेकिन 3 डी स्कैन किए गए मानचित्रों में जीवंत हो जाते हैं। दृश्य किसी भी वीडियो या तस्वीर से बेहतर हैं। स्मारकों में रुचि जगाने के अलावा, वर्चुअल टूर करने का अनुभव अलग है। उस स्थान पर भौतिक रूप से उपस्थित होने के समान है।
गठजोड़ की योजना

देवराज के अनुसार विभाग के लिए अकेले 530 स्मारकों पर काम कर इसे अंजाम तक पहुंचाना संभव नहीं है। आगे चलकर, कुछ निजी कंपनियां इस परियोजना को वित्तपोषित कर सकती हैं और विभाग उन स्टार्टअप्स के साथ भी गठजोड़ कर सकता है, जिनके पास 3डी इमर्सिव और एआई प्रौद्योगिकियों की तकनीक है।

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