script व्यंग्यकार शरद जोशी ने कहा था- हमने प्रधानमंत्री नहीं विश्व नेता चुना | Satirist Sharad Joshi said, we chose world leader PM | Patrika News
इंदौर

 व्यंग्यकार शरद जोशी ने कहा था- हमने प्रधानमंत्री नहीं विश्व नेता चुना

(शरद शब्द संध्या में पढ़े गए शरद जोशी के व्यंग्य) इंदौर. हमारे देश की आम जनता को पता लगना चाहिए कि उसने देश का प्रधानमंत्री नहीं चुना है, बल्कि विश्व नेता चुना है, जिसे दुनिया भर की समस्याएं सुलझाना है। हमारी संवैधानिक मजबूरी है कि हम एक ही प्रधानमंत्री विश्व को सप्लाई कर सकते हैं। […]

इंदौरDec 28, 2015 / 09:29 am

Kamal Singh

(शरद शब्द संध्या में पढ़े गए शरद जोशी के व्यंग्य)

इंदौर. हमारे देश की आम जनता को पता लगना चाहिए कि उसने देश का प्रधानमंत्री नहीं चुना है, बल्कि विश्व नेता चुना है, जिसे दुनिया भर की समस्याएं सुलझाना है। हमारी संवैधानिक मजबूरी है कि हम एक ही प्रधानमंत्री विश्व को सप्लाई कर सकते हैं। काश, हम चार-पांच प्रधानमंत्री चुन लेते तब यह संभव होता कि उनमें से एक पीएम को हम देश के लिए रख लेते। संसार के देश तो चाहते हैं कि हमारा प्रधानमंत्री दुनिया भर में विश्व शांति पर भाषण दे पर प्रधानमंत्री पूरे साल देश से बाहर नहीं रह सकता। कभी लोकसभा का सत्र है तो कभी कश्मीर के चुनाव आ जाते हैं, तब प्रधानमंत्री को देश में लौटना पड़ता है।

यह बात प्रख्यात व्यंग्यकार शरद जोशी ने कई दशक पहले अपने एक व्यंग्य में लिखी थी, पर जब इस व्यंग्य रचना को मंच पर उनकी बेटी नेहा शरद ने पढ़ा तो श्रोता उसकी एक-एक लाइन को आज के हालात से जोड़कर हंसते रहे। जोशी की यह प्रासंगिकता और सामयिकता ही उन्हें बड़ा रचनाकार बनाती है।

यह जिक्र है रविवार की शाम आनंद मोहन माथुर सभागार में आयोजित पं रामनारायण शास्त्री प्रसंग का। इस कार्यक्रम में शरद जोशी की व्यंग्य रचनाओं का पाठ किया गया। पूरी तरह भरे हुए हॉल में शरद जोशी की रचनाओं को उनकी बेटी नेहा शरद, व्यंग्य कवि सुभाष काबरा, व्यंग्यकार अनंत श्रीमाली और संस्कृतिकर्मी संजय पटेल ने शरद जोशी की चुनिंदा रचनाओं का पाठ किया। 

जंगल कट गए, शब्द आच्छाादित
अनंत श्रीमाली ने शरद जोशी की हमारा मध्यप्रदेश रचना सुनाई। इस रचना में स्कूली पाठ्य पुस्तकों और सरकारी लेखों में प्रदेश के बारे में दी गई जानकारियों पर गहरा व्यंग्य कसा गया है। वे लिखते हैं, मध्यप्रदेश का बड़ा भाग वनों से आच्छाादित है, जंगल कटते जा रहे हैं पर शब्द ज्यों के त्यों आच्छादित हैं।


टाइपिस्ट नहीं मिलते
हमारे प्रदेश में विश्वविद्यालय जितने लोगों को पीएचडी दे सकते थे, उतनों को दे चुके हैं। अब तो थीसिस लिखने के लिए टाइपिस्ट ही नहीं मिलते, क्योंकि जिन्हें वाकई टाइपिस्ट होना चाहिए, वे खुद की थीसिस ही लिखने में व्यस्त हो गए। 

दर्शन दो और…
तुम कब जाओगे अतिथि रचना में जोशी घर में चार दिनों से रुके मेहमान से परेशान होकर लिखते हैंं कि अतिथि होने के नाते तुम देवता हो पर मैं मनुष्य हूं और एक मनुष्य ज्यादा दिनों तक देवता के साथ नहीं रह सकता। देवता का काम है दर्शन दे और लौट जाए। कार्यक्रम में मेरे क्षेत्र के पति, पाकिस्तान का बम और महंगाई जैसी रचनाएं काफी पसंद की गईं।

पापा कभी पुरस्कार नहीं लौटाते
इंदौर. नेहा शरद का परिचय केवल इतना नहीं है कि वे व्यंग्यकार शरद जोशी की बेटी हैं। वे खुद कवियत्री हैं। टीवी और रंगमंच पर सक्रिय हैं। कार्यक्रम शरद शब्द संध्या के बाद पत्रिका से चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि अगर आज उनके पापा जीवित होते तो कभी पद्मश्री नहीं लौटाते। वे कभी पुरस्कारों के पीछे नहीं भागे, लेकिन स्वत: मिले पुरस्कार वे उनका सम्मान करते थे। पुरस्कार लौटाने का मसला सामान्य नहीं था, उसके पीछे राजनीतिक एजेंडा भी था।


पढऩे के लिए प्रेरित किया
पापा हम बहनों को बचपन से ही कुछ न कुछ पढ़वाते रहते थे। खासतौर से दूसरे लेखको की किताबें। जब मैं आठवीं क्लास में पढ़ती थी, तब तक मैं हिन्दी के तकरीबन सभी बड़े लेखकों को पढ़ चुकी थी। बचपन में पापा ने मुझे गीता भी पढ़वाई। उनके कारण ही पढऩे-लिखने में रुचि जागृत हुई।

पापा के लिए कुछ करने का प्लान है
सब टीवी पर सीरियल लापतागंज से क्रिएटिव हेड के रूप में जुड़ी थी, क्योंकि शुरुआत में यह सीरियल शरदजी की रचनाओं पर आधारित था, पर छह महीने बाद ही मुझे उससे हटना पड़ा, क्योंकि बाद में निर्माता ने दूसरी कहानियां जोड़ दीं। अब पापा पर कुछ बड़ा काम करना चाहती हूं, उसकी प्लानिंग जारी है। अगले साल उनके 85 वें जन्मदिन पर शरदोत्सव मनाने का भी इरादा है।

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