एमआर फरीदी
वाराणसी. क्या करेंगे बाहुबली अतीक अहमद, सपा में उनका टिकट नहीं बचा तो फिर क्या होगा, विकल्प क्या है, क्या वो ओवैसी की पार्टी की शरण लेंगे ? अखिलेश यादव ने जो प्रत्याशियों की लिस्ट का बम फोड़ा है उसके बाद पैदा हुए हालात और राजनीतिक गलियारों में चल रही चर्चा और अफवाहें अतीक अहमद की सपा से टूट रही डोर का सिरा असदुद्दीन ओवैसी से जोड़ रही हैं। सच्चाई क्या है इसके बारे में न मीडिया को पता है न ही राजनीतिक पण्डित कोई सूबत दे पा रहे हैं। सब कुछ मीडिया और सोशल मीडिया में चल रहा है। पर यह बात भी सच है कि अगर बाहुबली अतीक अहमद और उनके भाई ओवैसी से जुड़े तो एआईएमआईएम के लिये कानपुर कैण्ट ही नहीं इलाहाबाद क्षेत्र की भी तकरीबन चार से ज्यादा सीटों पर उम्मीद बन सकती है। इन सीटों पर मुस्लिम वोट हैं और मुसलमानों के अलाव गैर मुस्लिम वोटों पर भी अतीक का अच्छा खासा असर माना जाता है। इसमें अतीक की परम्परागत सीट फूलपुर, फाफामऊ, शहर पश्चिमी और सोरांव सुरक्षित को शामिल किया जा सकता है।
सपा से टिकट कटा तो अतीक के ओवैसी के साथ जाने की अफवाह
जब से अखिलेश यादव के प्रत्याशियों की लिस्ट चर्चा में आयी है, यह माना जा रहा है कि यदि अखिलेश की चली तो अतीक का टिकट कटना तकरीबन तय है। अखिलेश उनसे इलाहबाद के शियाट्स मामले को लेकर भी नाराज बताए जा रहे हैं। इसके अलावा अतीक जब कानपुर कैण्ट पहुंचे तो उनके साथ गया 1000 से ज्याद गाड़ियों के काफिले और शकति प्रदर्शन भी सीएम को पसन्द नहीं आया, ऐसी चर्चाएं हैं। टिकट कटेगा या नहीं यह कुछ दिनों में पता चल ही जाएगा, पर अतीक अहमद लखनऊ में ही डटे हैं और वहां टिकट बचाने के लिये पूरी कोशिश भी कर रहे हैं, यही वजह है कि उनके टिकट कटा है या बचा है, इस बात को लेकर अभी सपा कुछ कह नहीं रही। अफवाह यह है कि यदि टिकट कटता है तो अतीक एआईएमआईएम के साथ जा सकते हैं। कानपुर में तो यहां तक अफवाह है कि वह ओवैसी के सम्पर्क में हैं। हालांकि अभी इस बाबत न तो अतीक अहमद की ओर से कोई बयान आया है और न ही ओवैसी या उनकी पार्टी ने इस पर कुछ बोला है। हालांकि ओवैसी की कानपुर कैण्ट के साथ ही इलाहाबाद की मुस्लिम बाहुल सीटों पर नजर है। ऐसे में अफवाहें हकीकत बनेंगी या नहीं, इसके लिये इंतजार करना होगा। हालांकि एआईएमआईएम के प्रदेश अध्यक्ष शौकत अली ने पत्रिका को बताया कि अभी उनकी पार्टी से अतीक या उनके भाई से कोई बात नहीं हुई है। फिलहाल वह असदुद्दीन ओवैसी की कानपुर और लखनऊ में 30 दिसम्बर को होने वाली रैली की तैयारियों में जुटे हैं। उसी दिन दोपहर में कानपुर और शाम को लखनऊ में ओवैसी की रैली है।
असदुद्दीन ओवैसी और अतीक अहमद
ओवैसी के साथ गए अतीक तो इन इन सीटों पर सपा सीटों पर बढ़ेंगी उम्मीदें
फूलपुर रही है अतीक की परम्परागत सीट
बाहुबली अतीक अहमद और उनके भाई यदि असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी एआईएमआईएम के साथ जाते हैं तो इलाहाबाद व आस-पास की कई सीटों पर प्रभाव डालेंगे। इसमें पहला नाम इलाहाबाद में अतीक की परम्परागत फूलपुर सीट का आता है। अतीक ने लोकसभा चुनाव में सबसे ज्यादा वोट इसी सीट से पाया था। इसके अलावा वह इस सीट से विधायक भी रह चुके हैं। मुस्लिम बाहुल इस सीट पर अतीक की हार तब हुई जब उनपर राजू पाल की हत्या का आरोप लगा। बावजूद इसके अतीक का असर इस सीट पर है ऐसा राजनीतिक पण्डित भी दावा करते हैं। फिलहाल इस सीट से सपा के सईद अहमद विधायक हैं जिनसे अतीक के सम्बन्ध अच्छे नहीं बताए जाते हैं।
फाफामऊ सीट पर सबसे अधिक मुस्लिम ही बने विधायक
फाफामऊ विधानसभा का जो पहले ब्राम्हण बाहुल थी पर नए परिसीमन के बाद यहां मुस्लिम यादव समीकरण हावी है। उसमें भी मुस्लिम वोटर ज्यादा हैं। गद्दोपुर व हाजी का पुरा जैसे कई मुस्लिम बाहुल गांव इसी विधानसभा में आते हैं। दरअसल गंगापार में नवाबगंज क्षेत्र ब्राह्मण बाहुल माना जाता रहा। पर नए परिसीमन के बाद फाफामऊ सीट बनी तो ब्राह्मणों का बड़ा हिस्सा सोरांव में चला गया। इसके अलावा उत्तरी व सोरांव के मुस्लिम वोटर फाफामऊ सीट से जुड़ गए। इसके बाद यह मुस्लिम बाहुल मानी जाने लगी। यह बात भी याद रखने वाली है कि इस सीट पर जब यह नवाबगंज के नाम से जानी जाती थी तब से लेकर फाफाऊ होने तक अतीक अहमद के राजनीतिक गुरू कहे जाने वाले अंसार अहमद सपा, बसपा और अपना दल के टिकट पर सबसे ज्यादा छह बार चुनाव जीते। वर्तमान समय में भी सपा से वही विधायक हैं। कोई भी दो राजनीतिक दल लगातार दो बार चुनाव नहीं जीता। 1993 में इस सीट पर एक बार बीजेपी के टिकट पर प्रभाशंकर जीते पर वह 13 महीने ही एमएलए रहे। यह सीट सपा और बसपा के पास ही रही। इसमें भी सबसे अधिक मुस्लिम ही एमएलए बने।
शहर पश्चिमी में भी सपा को लग सकता है झटका
अतीक यदि सपा से टूटे तो समाजवादी पार्टी को इलाहाबाद की शहर पश्चिमी सीट पर भी झटका लग सकता है। यह सीट भी मुस्लिम बाहुल कही जाती है। यहां से फिलहाल समाजवादी पार्टी के परवेज अहमद ऊर्फ परवेज टंकी विधायक हैं। पूरे शहर में यह मुस्लिमों का सबसे मजबूत गढ़ कहा जाता है। नए परिसीमन के बाद शहर दक्षिणी विधानसभा का 50 प्रतिशत मुस्लिम मतदाता पश्चिमी में जुड़ गया। इसके बाद पश्चिमी सीट मुस्लिम बाहुल हो गई। यह सीट पहले कांग्रेस का गढ़ मानी जाती थी, पर जब कांग्रेस कमजोर हुई तो यह सपा का गढ़ बन गया। पर ऐसा कहा जाता है कि मस्लिम बाहुल होने के अलावा इलाहाबाद की इस सीट पर अतीक का क्रेज भी है और मतदाता यदि नाराज हुए तो सपा को नुकसान तय है।
सोरांव सुरक्षित पर भी अतीक का असर कम नहीं
इलाहाबाद की सोरांव विधानसभा सीट यूं तो सुरक्षित है, पर इस विधानसभा में भी अतीक का असर बताया जाता है। जीताने का न भी हो तो हराने भर का तो है माना ही जाता है। कमला नगर, ताजुद्दीनपुर, भानेमऊ और सराय दत्ते समेत तकरीबन 10 के आस-पास मुस्लिम बाहुल गांव इस सीट के अन्तर्गत आते हैं। जनता में रॉबिनहुड की छवि बनाने के लिये बाहुबली की मदद के चलते गैर मुस्लिम मतदाताओं में भी असर से इनकार नहीं किया जा सकत, ऐसा राजनीतिक पण्डित भी मानते हैं।
अतीक और ओवैसी की फोटो वायरल
बाहुबली अतीक अहमद के न सिर्फ ओवैसी की पार्टी में जाने की चर्चा है बल्कि AIMIM चीफ के साथ अतीक की एक फोटो भी वायरल है। इस फोटो में एक जलसे के दौरान अतीक और ओवैैसी इलाहाबाद में एक ही मंच पर दिख रहे हैं। अतीक इस तस्वीर में ओवैसी के कान में कुछ कहते हुए दिख रहे हैं। यह तस्वीर काफी पुरानी है, पर वर्तमान राजनैतिक परिस्थितियों में इसके भी अलग मायने निकाले जा रहे हैं।
साथ में इलाहाबाद से प्रसून पाण्डेय…
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