नोएडा

इस कंपनी के चपरासी भी हैं कई कंपनियाें के मालिक, संपत्ति के बारे में सुनेंगे तो आप भी रह जाएंगे हैरान

इस कंपनी के चपरासी हैं 23 कंपनियाें के मालिक, संपत्ति के बारे में सुनेंगे तो आप भी रह जाएंगे हैरान

नोएडाJan 18, 2019 / 11:45 am

lokesh verma

इस कंपनी के चपरासी भी हैं कई कंपनियाें के मालिक, संपत्ति के बारे में सुनेंगे तो आप भी रह जाएंगे हैरान

नोएडा. सुप्रीम कोर्ट द्वारा नियुक्त ऑडिटरों की फॉरेंसिक जांच में घिरे रियल एस्टेट कंपनी आम्रपाली समूह के भ्रष्टाचार की नर्इ-नर्इ परतें खुल रही हैं। अब फाॅरेंसिक ऑडिटरों ने सुप्रीम कोर्ट को बताया है कि आम्रपाली समूह की 23 कंपनियां चपरासी, ऑफिस ब्वॉय और ड्राइवरों के नाम पर चल रही हैं। कंपनी ने 500 फ्लैटों की बुकिंग मात्र 1, 5 आैर 11 रुपये प्रति वर्गफुट की दर से की है। समूह ने 23 फर्जी कंपनियां बनाकर चपरासी लेवल के लोगों को उन कंपनियों का निदेशक बना दिया आैर फ्लैट बायर्स की गाढ़ी कमार्इ उनमें डायवर्ट कर दी। बता दें कि अब इस मामले की अगली सुनवार्इ 24 जनवरी को होगी।
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दरअसल, बुधवार को सुनवार्इ के दौरान फाॅरेंसिक आॅडिटर ने सुप्रीम कोर्ट के जज अरुण मिश्रा आैर यूयू ललित की पीठ के सामने आम्रपाली समूह के बड़े भ्रष्टाचार का खुलासा किया है। सुप्रीम कोर्ट में फाॅरेंसिक आॅडिटर्स ने बताया कि इस संबंध में 655 लोगों को नोटिस भेजे गए हैं, जिनके नाम से बेनामी फ्लैट की बुकिंग की गर्इ थी। लेकिन, ऐसे 122 स्थानों पर कोई नहीं मिला। वहीं बड़ी संख्या में एेसी संपत्तियां भी मिली हैं, जो बेची ही नहीं गर्इ हैं। अब इनको बेचकर 1263 करोड़ रुपये जुटाए जा सकते हैं।
बता दें कि रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि चीफ फाइनेंशियल ऑफिसर चंदर वाधवा ने 4.75 करोड़ रुपये अज्ञात लोगों के नाम पर ट्रांसफर किए हैं। ऐसा उन्होंने पिछले साल 26 अक्टूबर को अदालत में पेशी से महज तीन दिन पहले किया था। वाधवा के खाते में मार्च 2018 तक 12 करोड़ रुपये थे। उसके बाद उन्होंने एक करोड़ रुपये पत्नी के खाते में ट्रांसफर किए। इस पर खंडपीठ ने वाधवा से कहा कि आपको पता था कि कोर्ट सवाल पूछेगा। इसलिए रकम ट्रांसफर कर दी। 23 अक्टूबर 2018 को धन खाते से ट्रांसफर करने की कोई जरूरत नहीं थी। हमें ट्रांसफर की गई रकम सात दिनों में वापस चाहिए। इससे न्याय प्रक्रिया बाधित हुर्इ है और हम अदालत की अवमानना का केस चला सकते हैं।
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वहीं कोर्ट ने फॉरेंसिक ऑडिटरों से कहा कि वह आम्रपाली समूह के सीएमडी अनिल कुमार शर्मा से एक करोड़ रुपये और निदेशक शिवप्रिया से एक करोड़ रुपये वसूले जाएं। साथ ही 2013-14 में आर्इटी की छापेमारी में मिले 200 करोड़ के रॉ मैटीरियल के फर्जी बिल और बाउचर के आइटी आर्डर को पेश किए जाएं। इस पर फॉरेंसिक ऑडिटर रवि भाटिया ने कहा कि समूह ने आइटी आर्डर के खिलाफ अपील की है। फॉरेंसिक ऑडिटरों ने जेपी मार्गन रियल एस्टेट फंड और आम्रपाली समूह के कानूनी प्रावधानों के उल्लंघन पर भी ध्यान खींचा। बताया कि आम्रपाली जोडियक के शेयर 85 करोड़ रुपये में खरीदने के बाद नीलकंठ और रुद्राक्ष नाम की मामूली कंपनियों को उन शेयरों को दोबारा बेच दिया। ये दोनों कंपनियां चंदन मित्तल और विवेक मित्तल के नाम पर थीं, जो आम्रपाली वैधानिक ऑडिटर के दफ्तर में काम करते थे। इस पर खंडपीठ ने जेपी मार्गन के वकील से कहा कि वह और भारत के उनके प्रभारी एक हफ्ते में जवाब दाखिल करें।

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