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नोएडा

रिश्वत लेकर फर्जी दस्तावेजों के आधार पर एनओसी देने के मामले में नोएडा पहुंची एंटी करप्शन की टीम

Highlights
– 2019 में वायरल हुआ था एफएसओ-1 और फायर वेंडर के बीच रिश्वत के लेन-देन ऑडियो
– जांच के बाद ऑडियो सही पाए जाने पर दोनों को किया गया था गिरफ्तार
– अब बरेली से जांच के लिए नोएडा पहुंची एंटी करप्शन डिपार्टमेंट की टीम

नोएडाSep 16, 2020 / 01:10 pm

lokesh verma

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नोएडा. फायर डिपार्टमेंट की अधिकारियों द्वारा रिश्वत लेकर एनओसी जारी करने के मामले की जांच करने के लिए बरेली से एंटी करप्शन की टीम नोएडा पहुंची। टीम ने यहां 5 घंटे तक दस्तावेजों की जांच की और इस मामले से संबंधित लोगों के बयान दर्ज किए। जांच टीम उन कंपनियों में भी गई, जिन्हें इस मामले में नामजद आरोपियों के कार्यकाल के दौरान एनओसी जारी की गई थी। कंपनी के प्रबंधक से आवेदन की तिथि और नवीनीकरण के बारे में पूछताछ की गई।
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बरेली से एंटी करप्शन डिपार्टमेंट डिप्टी एसपी अब्दुल रज्जाक टीम के साथ नोएडा के सेक्टर-2 स्थित दमकल विभाग के कार्यालय में पहुंचे और रिश्वत लेकर एनओसी जारी करने में दर्ज एफआईआर के आधार पर उससे जुड़े लोगों से बातचीत की और उनके बयान दर्ज करते हुए दस्तावेज़ों की जांच की। डिप्टी एसपी अब्दुल रज्जाक ने बताया कि बीते वर्ष 2019 में सितंबर में दर्ज की गई एफआईआर के आधार पर वे मामले की जांच कर रहे हैं। एफआईआर तत्कालीन एसएसपी वैभव कृष्ण के कार्यकाल में दर्ज की गई थी, जिसमें एफएसओ-1 के पद पर तैनात कुलदीप कुमार और फायर वेंडर अरविंद गुप्ता के बीच रिश्वत के लेन-देन एक कथित ऑडियो सोशल मीडिया पर वायरल होने के बाद तत्काल एसएसपी वैभव कृष्ण ने इसकी जांच कराई थी और ऑडियो सही पाए जाने पर कुलदीप तथा अरविंद गुप्ता से पूछताछ की गई थी। दोनों से रिश्वत लेने-देने की बात की पुष्टि के बाद दोनों का मुकदमा दर्ज कर गिरफ्तार कर लिया गया था। इस मामले की जांच एंटी करप्शन डिपार्टमेंट तरफ से की जा रही है।
एंटी करप्शन टीम ने एफआईआर में दर्ज आरोपियों की कार्यप्रणाली और उनके द्वारा जारी किए गए एनओसी के संबंध में बातचीत की और उन कंपनियों में भी गई जिन्हें इस मामले में नामजद आरोपियों के कार्यक्रम के दौरान पहले से जारी की गई थी। उनके प्रबंधक से आवेदन तिथि और नवीनीकरण पूछताछ की गई। इस मामले के उजागर होने के बाद 13 वेंडरों के खिलाफ 7 मुकदमे दर्ज किए गए थे। इन सभी पर आरोप है कि दमकल विभाग से एनओसी देने के नाम पर रिश्वत देकर फर्जी दस्तावेज़ों का प्रयोग किया जाता था।

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