बिना मुहूर्त हम नही होंगे तेरे, इस बार देवउठनी पर गुरु ने बदली ऐसी चाल नहीं पड़ेंगे फेरे ज्योतिषाचार्य पंडित चंद्रशेखर शर्मा कहते हैं कि आंवला नवमी के दिन पूजा-पाठ के साथ दान करने से इस जन्म के साथ ही अगले कई जन्म सुधर जाते हैं। पंडित जी कहते हैं कि आंवला नवमी के दिन सबसे पहले स्नान के बाद पूजन, तर्पण और अन्नदान करने का बहुत बड़ा महत्व है। इस दिन किया गया पूजन और दान व्यक्ति को सभी पापों से मुक्त करता है। साथ ही सभी इच्छाएं भी पूरी हो जाती है। वे बताते हैं कि ऐसा माना जाता है कि सतयुग का आरंभ भी इसी दिन हुआ था। इस दिन आंवले के वृक्ष की पूजा करने का विधान है। वे कहते हैं कि आंवले के वृक्ष में सभी देवी-देवताओं का निवास होता है तथा यह फल भगवान विष्णु को भी अति प्रिय है।
आज का राशिफल, 18 नवंबर 2018: जानें आज का दिन मेष राशि वालों के लिए कैसा रहेगा वहीं चरक संहिता में कहा गया है कि आंवला नवमी को महर्षि च्यवन ने आंवले का सेवन किया था। इससे उन्हें पुन: जवानी यानी नवयौवन की प्राप्ति हुई थी। शास्त्रों के अनुसार आज के दिन आंवले का सेवन करने से नवयौवन की प्राप्ति की जा सकती है। आंवले का रस रोजाना पीने से पुण्यों में बढ़ोतरी के साथ पापों से छुटकारा मिल जाता है। बताया जाता है कि आंवले खाने या उसका रस पीने के 2 घंटे बाद तक दूध का सेवन नहीं करना चाहिए।