अधिवक्ता सूर्यप्रताप सिंह ने पूरे मामले में जानकारी देते बताया कि लखनपाल प्रमोटर्स एंड बिल्डर कंपनी ने दिल्ली के अशोक विहार स्थित एसएमजीके एग्रो प्रोडक्ट कंपनी के पास रुपये जमा कराकर वर्क आर्डर दिया था। लेकिन, एसएमजीके कंपनी यह आर्डर पूरा नहीं कर सकी। इसके बाद एसएमजीके कंपनी को लखनपाल प्रमोटर्स को राशि वापस करनी थी, जिसके लिए एसएमजीके ने लखनपाल प्रमोटर्स को ढाई करोड़ रुपये का चेक दे दिया। जैसे ही लखनपाल प्रमोटर्स ने बैंक में चेक लगाया तो वह बाउंस हो गया था। इसके बाद लखनपाल प्रमोटर्स ने एसएमजीके को कानूनी नोटिस भेजा, लेकिन उसका भी जवाब नहीं दिया गया।
यह भी पढ़ें
विश्व कप में शानदार प्रदर्शन के बाद भावुक हुए शमी, हसीन जहां से विवाद पर कही बड़ी बात
इसके बाद लखनपाल प्रमोटर्स ने न्यायालय की शरण ली और एसएमजीके की एमडी प्रभा कक्कर के साथ साझेदार आरती सहवाग, हरिकिशन चावला, रिशी प्रकाश गुप्ता, अशोक मेहरोत्रा और अब्दुल आसिफ के खिलाफ एनआई एक्ट के तहत जिला न्यायालय में वाद दायर कर दिया। इस पर न्यायालय ने आरोपियों को को पेश होने के लिए कहा, लेकिन जब कोई पेश नहीं हुआ तो जिला न्यायालय ने 31 मई को गैर जमानती वारंट जारी कर दिए। जिसको लेकर आरती सहवाग शुक्रवार को जिला अदालत में पेश हुईं। जहां आरती को न्यायिक अभिरक्षा में लिया गया। हालांकि इसके बाद कोर्ट ने उन्हें जमानत दे दी। यह भी पढ़ें
ऑनर किलिंग: कोर्ट मैरिज से नाराज परिजनों ने बेटी को गोली मारकर उतारा मौत के घाट, देखें वीडियो
आरती सहवाग बोलीं- मैंने नहीं किए चेक पर हस्ताक्षर जिला अदालत में पेशी के दौरान आरती सहवाग ने कहा कि वह कंपनी में रोजाना के मामले देखने के लिए वर्किंग साझेदार नहीं हैं। साथ ही उन्होंने कहा कि मैंने चेक पर भी हस्ताक्षर नहीं किए हैं। इस पर जिला अदालत ने आरती सहवाग को निजी मुचलके और एक-एक लाख रुपये के जमानती शपथ पत्र पर जमानत दे दी है। यह भी पढ़ें