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नोएडा

Video: CAA के बाद नर्कभरी जिंदगी से छुटकारे की उम्मीद में मजनू टीला के हिंदू शरणार्थी

Highlights

पाकिस्‍तान में अत्याचार के बाद भागकर ली है शरण
शिविर में रह रहे हैं 140 परिवार
अब भारत में ही रहने की जताई इच्छा
नागरिकता मिलने की आस में बूढ़े और बच्चे

नोएडाJan 16, 2020 / 04:40 pm

sharad asthana

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नोएडा/दिल्‍ली। पूरे देश में नागरिकता संशोधन कानून (CAA) को लेकर बवाल मचा है। सरकार पर मुस्लिम हितों की अनदेखी के आरोप लग रहे हैं। लेकिन, देश में एक ऐसा वर्ग भी है जो सीएए के बाद सबसे ज्यादा खुश है। उनमें उम्मीद जगी है कि इस कानून से वर्षों से पीड़ि‍त लाखों लोगों को नया जीवन मिल सकेगा। ये वे लोग हैं, जो पांच-छह साल में पाकिस्तान (Pakistan) से भारत (India) आए हैं और विभिन्न शरणार्थी समूहों में रह रहे हैं। पाकिस्तान के विभिन्न हिस्सों से आए हिंदू शरणार्थियों (Hindu Refugees) का एक शिविर नयी दिल्ली (Delhi) के मजनू टीला में भी है। यहां रह रहे लोगों का कहना है, सीएए हमें नयी जिंदगी देगा। हमारा धर्म और संस्कार अब जीवित रह सकेगा।
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यमुना किनारे तनी हैं दर्जनों झुग्गियां

सीएए बवाल के बीच एक गैर सरकारी संगठन के साथ लखनऊ के विभिन्न मीडिया संस्थानों के पत्रकारों ने दिल्ली के मजनू टीला का दौरा किया। यह जानने की कोशिश की गयी कि आखिर पाकिस्तान से हिंदुओं का पलायन क्यों हो रहा है। पता चला यमुना नदी के किनारे दर्जनों झुग्गियां तनी हैं। कुछ की छतें टीन की हैं तो कुछ छप्पर हैं। दीवारें प्लाई की हैं या फिर फूस की। इन अस्थायी शिविरों में 140 ऐसे परिवार रह रहे हैं, जिनकी पाकिस्तान में बड़ी-बड़ी हवेलियां हैं, पक्के मकान और कई-कई बीघे उपजाऊ खेत हैं। लेकिन, यह सब लोग छोड़ आए हैं। यहां सीलनभरे एक कमरे में बमुश्किल करीब 740 सदस्य गुजर-बसर कर रहे हैं। इनमें बड़े और बूढ़े भी शामिल हैं। लेकिन सब के सब खुश हैं। वे आजादी महसूस कर रहे हैं।
शिविर में नागरिकता और भारत भी

शिविर में तमाम बच्चे हैं, जो स्कूल जाते हैं। कुछ आंगनबाड़ी में पढ़ते और खेलते हैं। इन्ही में एक बच्ची है नागरिकता। जिस दिन यह पैदा हुई उसी दिन भारत में नागरिकता संशोधन कानून लागू हुआ, इसलिए यह नामकरण हो गया। शिविर में भारत हैं तो पंजाब और बिहार नाम भी हैं। रोचक नामधारी इन लोगों में से अधिकतर दलित हैं। यह अलग बात है कि ज्यादातर की टाइटिल राठौर या फिर चौहान है। इनकी रोजी-रोटी का साधन रेहड़ी या फिर आइएसबीटी पर मोबाइल कवर बेचना है। कुछ ने हाइवे किनारे गुमटियों में दुकानें खोल ली हैं। इन तमाम दुश्वारियों के बाद भी यह अपने वतन नहीं लौटना चाहते। इन्हें भारत से प्यार है। अपने धर्म और संस्कृति की इन्हें चिंता है इसलिए यह अपना सब कुछ कुर्बान कर यहां आए हैं।
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दोयम दर्जे से भी बदतर व्यवहार

पाकिस्तान के सिंध प्रांत के हनुमान ने बताया, वहां हिंदुओं के प्रति नफरत का आलम यह है कि यदि इंडियन क्रिकेट टीम सेंचुरी लगाती है तो इसका खामियाजा पाकिस्तानी हिंदुओं को भुगतना पड़ता है। विश्वकप में भारत के हाथों पाकिस्तान के पराजित होने पर हिंदू परिवारों पर कहर टूटा था। कई हत्याएं और लूटपाट हुईं। इसमें उसने भी अपने दो बेटों को खोया। लेकिन, पाकिस्तान पुलिस मूकदर्शक बनी रही। पार्वती राठौर बताती हैं, घर से जवान होती बेटियों का निकलना मुश्किल है। पाकिस्तानी युवक लड़कियों पर फब्तियां कसते हैं। विरोध जताया तो ज्यादती और जुर्म तय है। जबरन धर्मांतरण कर निकाह करा दिया जाता है। ईद-बकरीद जैसे त्योहारों पर मंदिरों को अपवित्र कर देना आम बात है। हालात इतने खराब हैं कि खाने-पीने की दुकानों और होटलों में चाय पीना मुश्किल है। अधिकतर दुकानों में हिंदू ग्राहकों के लिए अलग बर्तन रखे हैं। हिंदुओं के साथ दोयम दर्जे का व्यवहार किया जाता है। हिंदुओं को तो मरने के बाद भी पाकिस्तान में चैन नहीं मिलता। शवों को दफनाने का दबाव होता है, क्योंकि शव को जलाने पर प्रतिबंध है।
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कुंभ पर धार्मिक यात्रा का वीजा लेकर आए

सिंध प्रांत से सैकड़ों हिंदुओं ने उज्जैन और प्रयागराज कुंभ के नाम भारत आने का वीजा लिया। हनुमान बताते हैं कि पाकिस्तान में धार्मिक यात्रा के नाम पर आसानी से वीजा मिल जाता है इसलिए अधिकतर ने कुंभ यात्रा के नाम पर वीजा लिया। भारत आए और फिर यहीं रहने लगे। मथुरा, वाराणसी और प्रयागराज के साथ तमाम लोग दिल्ली में रह रहे हैं। यह कहते हैं कि सिंध के काठियावालान गांव हिंदुओं से लगभग खाली हो गया है। गांव में अब बुजुर्ग ही बचे हैं। जैसे ही पाकिस्तानी शरणार्थियों को भारत में नागरिकता मिलनी शुरू होगी तमाम अन्य पाकिस्तानी हिंदू भारत आने को तैयार हैं।
योगी से गुजारिश, तराई में दें जगह

सिंध प्रांत के किसान प्रतिहार राठौर यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से बहुत प्रभावित हैं। वे कहते हैं कि हम किसान हैं। यूपी सरकार हमें गंगा-यमुना के कछार में कुछ जमीन दे दे। हम वहीं बस जाएंगे। शरणार्थियों ने इसके लिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को पत्र भी लिखा है, जिसमें यूपी मे शरण देने की मांग की गयी है।
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