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बज गई रणभेरी: बिछने लगी इस चुनाव की बिसात, भाजपा फिर से कर सकती है विरोधियों को चारों खाने चित्त

विरोधी दल भी लगे हैं इज्जत बचाने की जुगाड़ में

नोएडाApr 11, 2018 / 07:12 pm

Rahul Chauhan

UP K diggaj
नोएडा। उत्तर प्रदेश विधानपरिषद की अगले महीने खाली होने वाली 13 सीटों के चुनाव के लिए सूबे के राजनीतिक दल नई रणनीति बनाने में जुट गए हैं। एक तरफ तो समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी जीत के लिए नयी रणनीति बना रही हैं। वहीं सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी बेहतर प्रदर्शन कर उच्च सदन में अपनी स्थिति को मजबूत करने की हरसम्भव कोशिश करेगी। माना जा रहा है कि राज्यसभा चुनाव की तरह ही विधान परिषद चुनाव में भी पार्टी पश्चिमी उत्तर प्रदेश से किसी बड़े नेता को विधान परिषद भेजेगी।
आपको बता दें कि राज्यसभा चुनाव में पार्टी ने पश्चिमी उत्तर प्रदेश के तीन नेताओं विजयपाल सिंह तोमर, कांता कर्दम और अनिल अग्रवाल को राज्यसभा का टिकट देकर उच्च सदन में भेजा था। सूत्रों के मुताबिक इस चुनाव में पार्टी मेरठ के रहने वाले पूर्व प्रदेश अध्यक्ष और राष्ट्रीय परिषद के सदस्य डॉ लक्ष्मीकांत वाजपेयी को पश्चिमी उत्तर प्रदेश से प्रत्याशी बना सकती है। मेरठ शहर सीट से विधानसभा चुनाव हारने के बाद से वाजपेयी व उनके समर्थकों को भी समायोजन का इंतजार है। प्रदेश में भाजपा सरकार बनने के बाद से दो बार प्रदेश अध्यक्ष रहे लक्ष्मीकांत वाजपेयी को कोई पड़ी जिम्मेदारी नहीं दी गई है।
हाल ही में संपन्न हुए राज्यसभा चुनाव में 10 में से 9 सीटें जीतकर प्रदेश भाजपा के मुख्य रणनीतिकार पूरे जोश में हैं। इस चुनाव में भी विधायकों के संख्या बल के हिसाब से सत्तारूढ़ दल मजबूत स्थिति में है। यूपी चुनाव आयोग द्वारा अधिसूचना के अनुसार प्रदेश में विधानपरिषद की 13 सीटों पर 26 अप्रैल को चुनाव होगा। वर्तमान में 99 सदस्यों वाली विधानपरिषद में भाजपा के 13, समाजवादी पार्टी के 61, बसपा के 9, कांग्रेस के 2, रालोद का 1 तथा 12 अन्य सदस्य हैं, जबकि 2 सीटें रिक्त हैं।
आंकड़ों और जीत के गणित के मुताबिक एक प्रत्याशी को जीत के लिए 29 पहली प्राथमिकता के वोट चाहिए। जिसके अनुसार भाजपा और उसके सहयोगी संगठन 13 सीटों में से 11 सीटें आसानी से जीत सकते हैं। इसके बाद भी उसके पास 5 अतिरिक्त वोट बचेंगे। भाजपा सूत्रों के मुताबिक पार्टी परिषद के चुनावों में भी जोरदार जीत हासिल करेगी। सूत्रों के मुताबिक समाजवादी पार्टी के नेता भी बसपा के साथ मिलकर दो सीटें जीतने का दावा कर रहे हैं। सपा-बसपा के विधायकों की संख्या देखें तो सपा-46 और बसपा-19 है जिसका कुल टोटल होता है-55। यानि कि दो सीट जीतने के लिए इन्हें तीन अन्य वोटों की जरूरत पड़ेगी।
सपा नेताओं को पूर्ण विश्वास है कि कांग्रेस के समर्थन से सपा-बसपा गठबंधन फूलपुर व गोरखपुर के लोकसभा उपचुनाव की तरह ही जबरदस्त प्रदर्शन करेगा। उत्तर प्रदेश चुनाव आयुक्त द्वारा 13 सीटों के लिए दो दिन पूर्व अधिसूचना जारी कर दी गई है, जिसके मुताबिक 9 से 16 अप्रैल तक नामांकन होगा। 17 अप्रैल को नामांकन पत्रों की जांच होगी, नामांकन वापसी 19 अप्रैल को होगी। इसके बाद 26 अप्रैल को मतदान होगा और शाम 5 बजे के बाद ही मतगणना भी होगी।
आपको बता दें कि 5 मई 2018 को पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव समेत विधानपरिषद के 13 सदस्य रिटायर हो रहे हैं। इनमें से 12 सीटें 5 मई को खाली हो रही हैं। जबकि अंबिका चौधरी के सपा से बसपा में शामिल होने के बाद उनके इस्तीफा देने से एक सीट पहले से ही खाली है। खाली होने वाली सीटों में मुख्य रूप से योगी सरकार में मंत्री महेंद्र कुमार सिंह, समाजवादी पार्टी से राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव, प्रदेश अध्यक्ष नरेश उत्तम, प्रवक्ता राजेंद्र चौधरी, मधु गुप्ता, पूर्व मंत्री रामसकल गुर्जर, विजय यादव, उमर अली खान, बहुजन समाज पार्टी से विजय प्रताप, सुनील कुमार चित्तौड़ तथा राष्ट्रीय लोकदल से चौधरी मुश्ताक शामिल हैं।

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