ख़ुद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ गाय और गोशाला को लेकर काफ़ी संवेदनशील रहे हैं। उनकी संदेनशीलता और गोप्रेम इसी बात से देखा जा सकता है जब उन्होंने 2019 में गोवंश कल्याण के लिए विभिन्न मदों में 632.60 करोड़ खर्च करने का बजट जारी कर दिया। वहीं इस वर्ष बजट के दौरान भी वित्त मंत्री ने कहा कि गोवंश के लिए सरकार द्वारा विभिन्न योजनाएं चलाई जा रही हैं। सरकार ने बड़ी संख्या में कान्हा गोशालाएं बनवाईं और अधिकारियों को सख़्त निर्देश दिए कि सड़क पर किसी तरह के गोवंश न दिखें। इस योजना को लेकर प्रदेश भर के जिलाधिकारियों को निर्देश दिए गए।वहीं गोपालन योजना भी सरकार द्वारा लागू की गई। जिसका मुख्य उददेश्य निराश्रित गायों को रखकर उनका पालन पोषण करना था और उसके बदले गोवंश पालकों को सरकार की ओर से वित्तीय सहायता मिलनी थी।
मेरठ मंडल में गोवंश योजना की हकीकत सरकार द्वारा चलाई गई गोवंश योजना मेरठ मंडल के सभी जिलों में संचालित हो रही है। मेरठ, गाजियाबाद, बुलंदशहर,हापुड, नोएडा और बागपत में योजना के क्रियान्वयन के लिए पशुपालन विभाग जुटा हुआ है। मंडल के सभी छह जिलों में गोवंश संरक्षण केंद्र बनाए गए हैं। जहां पर गायों की पूरी तरह से देखभाल की जाती है। अकेले मेरठ में ही दो बड़ी गौशालाएं संचालित हैं। जिनमें देशी गायों की देखभाल की जा रही है।
योगी की गो योजना का दूसरा पहलू लेकिन योगी सरकार की इस योजना का एक दूसरा पहलू और भी है। एक ओर जहां गोशालाओं में गायो की उपेक्षाओं की खबरें आती रहती हैं वहीं दूसरी ओर पूरे प्रदेश में किसान आवारा गायों से अपनी फ़सलों की रक्षा के लिए संघर्ष करते दिख रहे हैं। कई बार किसान प्रशासन से इन आवारा गोवंशों पर रोक लगाने की गुहार लगा चुके हैं। लेकिन प्रशासन भी किसानों केा इस समस्या से मुक्ति नहीं दिला सका।
चार साल में बहुर गए गोवंशों के दिन 18 मार्च 2021 को योगी सरकार के चार साल पूरे होने जा रहे हैं। इन चार वर्षों में जहां अवैध रूप से गोवंश काटने पर प्रतिबंध लगा है। वहीं गोवंशों की सुरक्षा के लिए भी पुलिस तत्पर रहीं। मेरठ जोन में करीब 200 से अधिक गोतस्कर खाकी की गोली का शिकार होकर घायल हुए। इन चार वर्षों में अवैध गोवध पर प्रतिबंध लगा है। वहीं गोमांस तस्करी पर भी रोक लगी है।
16 जिलों में 20 गोसंरक्षण केंद्रों की स्थापन यूपी सरकार 16 जिलों में 20 गोसंरक्षण केंद्रों की स्थापना करेगी। इसके लिए 12 करोड़ रुपये की धनराशि स्वीकृत की गई है। जिससे इटावा, बस्ती, सिद्धार्थ नगर, अलीगढ़, कानपुर देहात, बरेली, अयोध्या, सीतापुर, रायबरेली, लखनऊ, झांसी और बांदा में एक-एक गोसंरक्षण केंद्र की स्थापना होगी। वहीं हरदोई, बहराइच, अंबेडकर नगर और फतेहपुर में दो-दो गो संरक्षण केंद्रों की स्थापना की जाएगी। प्रत्येक संरक्षण केंद्र की स्थापना के लिए 60 लाख की धनराशि आवंटित की गई है।
गोवंश की पहचान को ईयर टैगिंग उल्लेखनीय है कि योगी सरकार ने अक्टूबर 2020 मेें उत्तर प्रदेश के प्रत्येक गोवंश की पहचान के लिए उनकी ईयर टैगिंग अनिवार्य की थी। जिसके अनुसार प्रत्येक पशु को 12 अंकों का यूनिक आइडेंटिफिकेशन नंबर दिया गया है और इसे एक तरीके से पशुओं का आधार कार्ड कहा जा सकता है। इसमें उनसे जुड़ी सभी जानकारियां हैं। इतना ही नहीं, ईयर टैगिंग के लिए पशुपालकों से कोई फीस भी नहीं ली गई।