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नोएडा

जापान सरकार ने आईकेयर को दिए पौने दो करोड़ उपकरण, जरुरतमंदों का हो सकेगा मुफ्त इलाज

जापान के आर्थिक और विकास मंत्री शिंगो मियामोटो ने कहा कि यह परियोजना हमारे लिए छोटी परियोजना है। उन्होंने कहा कि यह प्रोजेक्ट छोटा जरूर है, लेकिन बहुत महत्वपूर्ण है। क्योंकि इस प्रोजेक्ट से बहुत से लोगों के जीवन को बेहतर बनाने में सीधे तौर पर मदद मिलेगी।

नोएडाApr 20, 2022 / 10:48 am

lokesh verma

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जापान की ग्रांट असिस्टेंस फॉर ग्रासरूट प्रोजेक्ट्स (जीसीपी) के तहत ग्रामीण क्षेत्र के लोगों की आंखों के इलाज के लिए पौने दो करोड़ उपकरण आईसीएआरई आई हॉस्पिटल एंड पोस्ट ग्रेजुएट इंस्टीट्यूट फनिट ईश्वर चैरिटेबल ट्रस्ट को ग्रांट के रूप में दिए गए हैं। नोएडा सेक्टर-26 में आयोजित एक समारोह के दौरान इन उपकरणों को जापान के आर्थिक और विकास मंत्री शिंगो मियामोटो ने आईकेयर हॉस्पिटल को सौंपा है।
स्टेराड 1008 (प्लाज्मा स्टेरलाइजर) और एप्लानेशन ट्रोनोमीटर का निरीक्षण करते हुए शिंगो मियामोटो संतुष्ट नजर आए। उन्होंने कहा कि यह परियोजना हमारे लिए छोटी परियोजना है। जापान इंडिया के विकास के लिए सहयोग कर रहा है। इसके अलावा जापान ने इंडिया में बड़े स्तर पर प्रोजेक्ट जिनमें मुंबई-अहमदाबाद हाई स्पीड रेल को फाइनेंस किया है। उन्होंने कहा कि यह प्रोजेक्ट छोटा जरूर है, लेकिन बहुत महत्वपूर्ण है। क्योंकि इस प्रोजेक्ट से बहुत से लोगों के जीवन को बेहतर बनाने में सीधे तौर पर मदद मिलेगी। यह साल भारत और जापान के संबंधों का 70वां वर्ष है।
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मीडिया से बात करते हुए डॉ. सौरभ ने बताया कि यह तीसरी बार है, जब जापान ने हमारी मदद की है। इससे हम और बेहतर तरीके से गरीब मरीजों की सहायता कर सकेंगे। इससे पहले 2008 में जापान की तरफ से ग्रांट मिला था। 2014 में दूसरा ग्रांट मिला था और अब 2021 में जाकर में तीसरा ग्रैंड मिला है। इस बार 56 लाख रुपए का एक स्टेराड 1008 (प्लाज्मा स्टेरलाइजर) और आठ लाख का एप्लानेशन ट्रोनोमीटर मिला है। उपकरणों से हम ऐसी चीजें कर पा रहे हैं, जो कि पहले नहीं कर पा रहे थे।
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उन्होंने बताया कि आईकेयर हॉस्पिटल पिछले 25 साल से गरीब मरीजों के लिए काम कर रहा है। कोरोना के कारण हम पिछले दो सालों में काफी सर्जरी नहीं कर पाए। हालांकि कोरोना का ग्राफ कम होने के बाद से लगातार 16 हजार मरीजों की फ्री सर्जरी कर रहे हैं। आंखों के पर्दे का ऑपरेशन काफी महंगा होता है। जापान एंबेसी की सहायता से ऐसे लोगों का भी ऑपरेशन कर पा रहे हैं, जिनका ऑपरेशन किया जाना संभव नहीं था।
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