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नोएडा

BIG NEWS: निर्वाचन आयोग ने मायावती पर कसा शिकंजा, मुस्लिमों पर दिए गए बयान पर की गई बड़ी कार्रवाई

25 साल बाद पहली बार सपा-बसपा और रालोद की देवबंद में हुई थी संयुक्त रैली
गठबंधन प्रत्याशी हाजी फजुर्लरहमान के पक्ष में वोट मांगने पहुुंची थी मायावती

 

नोएडाApr 08, 2019 / 09:56 am

virendra sharma

bsp

निर्वाचन आयोग ने मायावती पर कसा शिकंजा, बयान पर मांगी रिपोर्ट

सहारनपुर. 25 साल बाद पहली बार सपा-बसपा और रालोद की देवबंद में संयुक्त रैली हुई। इस रैली में बसपा सुप्रीमो मायावती, सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव, आरएलडी प्रमुख अजीत चौधरी शामिल हुए। मायावती के धर्म के आधार पर वोटरों से अपील करने आैर ईवीएम में गड़बड़ी वाले बयान पर निर्वाचन आयोग ने सख्त रुख अख्तियार किया है।
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सहारनपुर लाेकसभा सीट से मैदान में उतरे गठबंधन प्रत्याशी हाजी फजुर्लरहमान के पक्ष में वोट मांगने के लिए पूर्व मुख्यमंत्री मायावती व अखिलेश और आरएलडी सुप्रीमो अजीत सिंह की रविवार को देवबंद में संयुक्त रैली हुई थी। इस दौरान बसपा सुप्रीमो मायावती भाजपा और कांग्रेस पर जमकर बरसी। उन्होंने मेरठ, सहारनपुर, बरेली मंडल, मुरादाबाद में मुस्लिमों की संख्या बताते हुए कहा था कि मुस्लिम वोटों में बंटवारे की साजिश की जा रही हैै। विपक्ष के लोग वोट काटने की हर संभव कोशिश में लगे है। रैली के दौरान मायावती ने मुस्लिमों से अपील की थी कि वोटों को बंटवारा न होने दें। इसके अलावा उन्होंने अपने बयान में कहा था कि गठबंधन इतना मजबूत है कि भाजपा को सत्ता से बाहर कर देगा। अगर भाजपा ईवीएम में गड़बड़ी नही करती है। इसी बयान को संज्ञान लेते हुए राज्य निवार्चन आयुक्त ने जिला निर्वाचन अधिकारी से रिपोर्ट मांगी है। राज्य निर्वाचन आयोग से आदेश मिलने के बाद में जिला निर्वाचन अधिकारी ने रिपोर्ट तैयार करनी शुरू कर दी है।
25 साल बाद एक मंच पर आई सपा और बसपा

उत्तर प्रदेश में 1993 में हुए विधानसभा चुनाव से पहले सपा और बसपा ने गठबंधन किया था। लेकिन यह गठबंधन ज्यादा दिन नहीं चला। उस दौरान मुलायम सिंह यादव ने बसपा और अन्य कुछ राजनीतिक दलों के साथ मिलकर सरकार बनाई थी। 2 जून 1995 को चर्चित गेस्ट हाउस कांड के बाद सपा-बसपा के बीच संबंधों में ऐसी कड़वाहट पैदा हुई कि दोनों एक दूसरे के सबसे बडे राजनीतिक दुश्मन बन गए। लेकिन एक बार फिर से सियासी समीकरण बदले और सपा-बसपा एक मंच पर आ गई। लोकसभा चुनाव 2019 के पहले चरण के चुनाव प्रचार के दौरान सपा और बसपा सुप्रीमो पहली बार एक मंच पर दिखाई दिए।

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