डीसीपी महिला और बाल सुरक्षा वृंदा शुक्ला का कहना है पुलिस प्रशासन निरंतर प्रयास करता है कि महिलाओं का मनोबल बढ़े, वह सुरक्षित रहें। लेकिन, बादलपुर की घटना में रिपोर्ट दर्ज कराई कि 20 वर्ष की लड़की को वैन में कुछ लोग छेड़छाड़ करके उसको घसीटकर अपहरण करके ले गए। एक झूठी कहानी परिवार वालों ने क्रिएट की और इसमें नाबालिक बच्चों को आगे करके पुलिस को गुमराह किया गया। इसका बहुत दुष्प्रभाव पड़ता है। इसके अलावा इस प्रकार से हाईवे को जाम किया गया। एकदम मीडिया और सोशल मीडिया के माध्यम से पुलिस के प्रति जो अविश्वास की स्थिति पैदा की गई और एक सनसनी फैलाई गई। उनके खिलाफ विधिक कार्रवाई की जाएगी।
नोएडा सेंट्रल के एडिशनल डीसीपी अंकुर अग्रवाल ने इससे पहले जानकारी देते हुए बताया कि सोनू नाम का लड़का है, जिसने सबसे पहले अपहरण की सूचना दी थी। सुबह 5.40 बजे पर चौकी इंचार्ज मौके पर पहुंच गए थे और एसीपी 5.50 बजे पर मौके पर पहुंच गए थे। अंकुर अग्रवाल ने बताया कि सादोपुर का फाटक घर से एक से डेढ़ किलोमीटर की दूरी पर है। पुलिस को बताया गया था कि 4.30 बजे दो लड़कियां और दो उनके भाई मॉर्निंग वॉक के लिए निकले थे। इसी दौरान एक वैन आई और पहले छोटी बच्ची को वैन में डालने का प्रयास किया। जब वह चिल्लाई तो उसको धक्का दिया और फिर बड़ी बहन को गाड़ी में डालकर फरार हो गए। जहां-जहां सीसीटीवी कैमरा था उसके सीसीटीवी फुटेज खंगाले तो कोई वैन नजर नहीं आई।
बच्चों का ब्रेनवॉश किया गया एडिशनल डीसीपी ने बताया इस मामले तफ्तीश के दौरान पता चला लड़की के पिता के भाई दिल्ली पुलिस एएसआई के पद पर हैं। उनका भी इस झूठी अपहरण में कहानी में बड़ा रोल है, क्योंकि वह पुलिस में हैं। उन्होंने इस तरह से योजना बनाई कि कोई क्लू न बचे। पूछताछ के दौरान एक बात और पता चली कि जो नंबर लड़की के पास था। वह 14 तारीख को चालू हुआ था। 15 तारीख तक वह अपने दोस्त से बात करती रही और 15 तारीख को ही वह अपने गांव को छोड़कर आनंद विहार टर्मिनल से बस लेकर एक्सप्रेस हुए होते हुए लखनऊ, बाराबंकी, फैजाबाद होते हुए गोंडा पहुंच गई। लड़की और लड़का दोनों बालिग हैं। उनका हक है एक-दूसरे के साथ रहने का। अब जो विधिक कार्रवाई होगी वह गलत सूचना देने और इस घटना को क्रिएट करने वालों के खिलाफ होगी। इस प्रकरण में बच्चों का इस्तेमाल किया गया और बच्चों का ब्रेनवाश किया गया है।