इसके लिए सोमवार को प्राधिकरण के अधिकारियों ने बैठक कर सुप्रीम कोर्ट की कमेटी ईपीसीए द्वारा जारी किए गए निर्देशों का पालन करने का फैसला किया। इसके तहत अब 1 नवंबर से 10 नवंबर तक शहर में कंस्ट्रक्शन कार्यों पर रोक लगा दी है। जिसके बाद अब प्राधिकरण से संबंधित और अन्य विभाग, बिल्डर आदि द्वारा शहर में कंस्ट्रक्शन नहीं किया जाएगा। केवल घरों में किए जा रहे निर्माण पर रोक नहीं होगी। यदि कोई ऐसा करता पाया जाता है तो उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई करने के निर्देश दिए गए हैं। इसके साथ ही शहर में स्टोन क्रेशर और हॉट मिक्स प्लांट पूरी तरह से बंद करा दिए गए हैं।
दरअसल, शहर की फिजा में छाई स्माग से प्रदूषण का स्तर बढ़ता ही जा रहा है। दिन भर आसमान पर धूल के गुबार छाए हुए हैं। इससे उमस का असर भी ज्यादा हो गया। आज पिछले एक-दो दिनों के मुकाबले अधिक है। आने वाले दिनों तक मौसम का मिजाज इसी तरह बने रहने की संभावना जताई जा रही है। आलम यह है कि अब बाहर निकलते ही लोगों को दम घुटने का अहसास हो रहा है। गुबार की वजह से विजिविलिटी भी कम हो गई है। वायु गुणवत्ता सूचकांक 343 एसपीएम दर्ज किया गया है। जिला प्रशासन और प्रदूषण विभाग इससे निपटने की जल का छिड़काव और धूल को हटाने में जुटा है, लेकिन उसका ये प्रयास भी नाकाफी साबित हो रहा है।
यूपीपीसीबी के क्षेत्रीय अधिकारी डॉ अनिल कुमार सिंह का कहना है कि हम ग्रेडेड रिस्पांस प्लान के अंतर्गत कार्य कर रहे हैं। सारे विभाग सक्रिय हैं और शहरभर में पानी का छिड़काव का काम बढ़ा दिया गया है। सड़कों की सफाई मशीनों से की जा रही है, कई जगहो पर दो बार सफाई और पानी का छिड़काव कराया जा रहा है। मौसम विभाग से हमें जानकारी मिली है कि हवा की गति कम हो रही है और ठंड का पैटर्न सुबह और शाम काफी कम हो रहा है। इससे स्माग के बढ़ने की संभावना है। उनका कहना है की हवा की कोई सीमा नहीं होती तब तक हम उसको रोक नहीं सकते इसलिए हमारी कोशिश है कि ज्यादा से ज्यादा पानी का छिड़काव और धूल को हटाकर इस समस्या से कुछ निजात मिल सके। प्रदूषण को रोकने और उसके बारे में सभी विभागों को मिलाकर एक ग्रुप बनाया गया है। जनता और हमारे सर्वे के अनुसार फीडबैक जो मिलता है उसके आधार पर कार्रवाई की जाती है।
वहीं डॉक्टरों का कहना है कि धूल के गुबार सांस से संबंधी मरीजों को परेशानी बढ़ सकती है। अस्थमा, उच्च रक्तचाप और मानसिक तनाव के मरीजों के लिए ऐसा मौसम घातक सिद्ध हो सकता है। डॉक्टरों की सलाह है कि ऐसे मौसम में घर से बाहर ना निकलें। अगर घर से बाहर जाना आवश्यक है तो मास्क पहनकर निकलें। सांस से संबंधी बीमारियों से पीड़ित लोग तरल पदार्थ का अधिक सेवन करें और अपनी दवाएं साथ रखें।
यह भी पढ़ेें : टोल प्लाजा पर सरेआम गुंडागर्दी, टैक्स मांगने पर टोलकर्मी पर तानी पिस्टल, जानिये फिर क्या हुआ प्रदूषण फैला रहे वाहन होंगे जब्त सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली-एनसीआर में बढ़ते प्रदूषण के मद्देनजर 10 साल पुराने डीजल वाहन व 15 साल पुराने पेट्रोल वाहनों को तुरंत जब्त करने का आदेश जारी किए हैं। जिसके बाद नोएडा गाजियाबाद में मंगलवार से ही परिवहन विभाग ने ऐसे वाहनों की जानकारी जुटकर जब्त करने की कार्रवाई शुरू कर दी है। नोएडा परिवहन विभाग के अनुसार शहर में शहर की सड़कों पर इस कैटेगिरी में शामिल करीब 40 हजार से भी अधिक ऐसे वाहन दौड़ रहे हैं। इसके खिलाफ कार्रवाई शुरू कर जब्त किया जाएगा। वहीं गाजियाबाद से 1.23 लाख वाहन सड़कों से हटेंगे। इनमें 98 हजार 10 साल पुरानी बाइकें शामिल हैं। सात ही 14 हजार पेट्रोल कारें और 11 हजार ऐसे डीजल वाहन ऐसे हैं जो 15 साल से ज्यादा पुराने हैं।
ग्रेडेड रिसपांस एक्शन प्लान के तहत यह होगा बंद -प्रत्येक प्रकार के कंस्ट्रक्शन कार्यो पर रोक -हॉट मिक्सिंग प्लांट, स्टोन क्रशर, ब्रिक क्रशर पर रोक -डीजल जनरेटर पर रोक
गाजियाबाद बना सबसे प्रदूषित शहर पिछले पांच दिनों से लगातार बढ़ते प्रदूषण के स्तर से गाजियाबाद रेड जोन में है। सोमवार को गाजियाबाद वायु प्रदूषण के मामले में देश में नंबर एक पर रहा। एयर क्वालिटी इंडेक्स 433 प्रति घन मीटर मापा गया। वहीं प्रशासन द्वारा लगातार प्रदूषण रोकने के प्रयास किए जा रहे हैं तो नाकाफी साबित हो रहे हैं।
सोमवार को एयर क्वॉलिटी इंडेक्स -ग्रेटर नोएडा : 385 -नोएडा : 374 -गाजियाबाद : 430