scriptUP Prasangvash : सिर्फ कागजों में सिमटकर रह गई धारा 144 | section 144 remained only on paper in up | Patrika News
नोएडा

UP Prasangvash : सिर्फ कागजों में सिमटकर रह गई धारा 144

महामारी का प्रकोप कम हुआ तो सीआरपीसी की इस धारा को हटा लिया गया। लेकिन, जैसे ही कोराेना वायरस के नए वेरिएंट ने देश में दस्तक दी तो उत्तर प्रदेश के विभिन्न जिलों फिर से धारा 144 लागू कर दी गई है। सोचने वाली बात ये है कि जिस तरह से सत्ता और विपक्ष एक के बाद एक बड़ी-बड़ी चुनावी रैलियां कर रहे हैं, क्या उससे संक्रमण नहीं बढ़ेगा? इसके साथ ही क्या बाजारों में उमड़ती भीड़ भी क्या कोविड के प्रसार में सहायक नहीं होगी? अगर हां तो फिर नाम के लिए धारा-144 लगाने का क्या फायदा है?

नोएडाDec 09, 2021 / 05:20 pm

lokesh verma

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कोरोना महामारी में लॉकडाउन के दौरान समूचे उत्तर प्रदेश में धारा 144 लागू कर दी गई थी। जैसे ही महामारी का प्रकोप कम हुआ तो सीआरपीसी की इस धारा को हटा लिया गया। लेकिन, जैसे ही कोराेना वायरस के नए वेरिएंट ने देश में दस्तक दी तो उत्तर प्रदेश के विभिन्न जिलों फिर से धारा 144 लागू कर दी गई है। उत्तर प्रदेश सरकार ने ओमिक्रोन के बढ़ते खतरे को देखते हुए लखनऊ में 5 जनवरी तक धारा 144 लगा दी है। इसी तरह दिल्ली से सटे नोएडा और गाजियाबाद में भी चार या उससे अधिक लोगों को एक स्थान पर एकत्रित होने की इजाजत नहीं है। एक तरफ सरकार लोगों को संक्रमण से बचाने के लिए कानून का सहारा ले रही है। वहीं, चुनावी दौर में खुद ही रैलियां कर महामारी को निमंत्रण दे रही है। सोचने वाली बात ये है कि जिस तरह से सत्ता और विपक्ष एक के बाद एक बड़ी-बड़ी चुनावी रैलियां कर रहे हैं, क्या उससे संक्रमण नहीं बढ़ेगा? इसके साथ ही क्या बाजारों में उमड़ती भीड़ भी क्या कोविड के प्रसार में सहायक नहीं होगी? अगर हां तो फिर नाम के लिए धारा-144 लगाने का क्या फायदा है? अगर हम सही में ओमिक्रोन के बढ़ते खतरे को महसूस कर रहे हैं तो नियम सभी के लिए समान होने चाहिएं, चाहे वह आम हो या फिर खास।
उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में ओमिक्रोन के खतरे को भांपते हुए क्रिसमस और नए साल के जश्न के साथ राजधानी में विभिन्न किसान संगठनों के विरोध प्रदर्शन को देखते हुए धारा 144 लगाने का फैसला लिया गया है। इसके साथ ही रेस्टोरेंट, जिम, सिनेमा हॉल, मल्टीप्लेक्स और होटल भी 50 फीसदी क्षमता के साथ ही खोले जा सकेंगे। इसके अलावा मास्क और सोशल डिस्टेंसिंग के नियम का पालन नहीं करने पर भी कार्रवाई की बात कही जा रही है।
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जबकि लोग सड़कों पर खुलेआम बगैर मास्क के झुंडों में घूम रहे हैं। बसों में कहीं पर भी सोशल डिस्टेंसिंग के नियम का पालन नहीं हो रहा है। बाजारों में बगैर मास्क लोग कंधे से कंधा सटाकर घूम रहे हैं, लेकिन पुलिस मूकदर्शक बनी हुई है।
सीआरपीसी की धारा-144 किसी भी आपात स्थिति से बचने या शांति व्यवस्था बनाने के लिए वहां लगाई जाती है। जहां किसी तरह से सुरक्षा, स्वास्थ्य संबंधी या फिर दंगे की आशंका होती है, लेकिन यूपी में धारा 144 सिर्फ कागजों में सिमटकर रह गई है। पुलिस को चाहिए कि वह लोगों को जागरूक करते हुए सख्ती के साथ इसका पालन कराए। (लो.व.)
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