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महज शादी के लिए धर्म परिवर्तन गलत, घटनाओं को रोकने के लिए हाईकोर्ट ने जोधा-अकबर का दिया उदाहरण जस्टिस डीवाई चंद्रयूड और जस्टिस एमआर शाह की पीठ के सामने सुनवाई में नोएडा अथॉरिटी के अधिवक्ता रविंदर कुमार ने प्राधिकरण के साथ ही उसके अधिकारियों का बचाव किया और कहा कि सुपरटेक एमराल्ड मामले में सभी नियमों का पालन किया गया है। इसके साथ ही अधिवक्ता ने फ्लैट बायर्स की कमियां भी गिनानी शुरू कर दीं। इस पर सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने कहा कि यह दुख की बात है कि आप पब्लिक अथॉरिटी होते हुए डेवलपर्स की ओर से बोल रहे हैं, आप कोई निजी अथॉरिटी नहीं हैं।
जबकि सुपरटेक की ओर से अधिवक्ता विकास सिंह ने पीठ से कहा कि इलाहाबाद हाईकोर्ट के आदेश पर टावरों को गिराने में नियमों की अनदेखी नहीं की है। सिंह ने भी फ्लैट बायर्स पर सवाल खड़े करते हुए कहा कि 2009 में टावरों का निर्माण कार्य शुरू कर दिया गया था। इसके बाद भी महज तीन साल बाद ही वे हाईकोर्ट क्यों गए? इस पर जस्टिस शाह बोले कि प्राधिकरण को तटस्थ की भूमिका निभानी चाहिए थी। ऐसा लगता है कि आप बिल्डर की भाषा बोल रहे हैं। उन्होंने कहा कि ऐसा लगता है कि अथॉरिटी फ्लैट बायर्स से लड़ाई लड़ रही है। इस पर अधिवक्ता रविंदर कुमार ने कहा कि वह तो अथॉरिटी का पक्ष रख रहे हैं।
हाईकोर्ट के आदेश पर लगाई थी रोक बता दें कि इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 2014 में हाउसिंग सोसायटी में नियमों के उल्लंघन पर दो टावर गिराने के आदेश दिए थे। इसके साथ ही प्राधिकरण के अधिकारियों के खिलाफ भी कार्रवाई के निर्देश जारी किए थे। इसके बाद सुपरटेक की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के आदेश पर रोक लगाई थी।