नोएडा

अखिलेश यादव के करीबी ने छोड़ा उनका साथ और यह महत्वपूर्ण पद, दिए इस पार्टी से जुड़ने के संकेत

– सपा से राज्यसभा सांसद सुरेंद्र नागर ने दिया पार्टी और राज्यसभा के पद से इस्तीफा- पश्चिमी उत्तर प्रदेश में बड़े गुर्जर नेताओं में शुमार हैं सुरेद्र नागर – सुरेंद्र नागर जल्द ही थाम सकते हैं भाजपा का दामन

नोएडाAug 03, 2019 / 11:42 am

lokesh verma

akhilesh yadav

नोएडा. अखिलेश यादव के करीबी मानें जाने वाले राज्यसभा सांसद सुरेंद्र नागर ने उनका साथ छोड़ दिया है। साथ ही राज्यसभा सांसद पद से भी इस्तीफा दे दिया है। सूत्रों की मानें तो अब सुरेंद्र नागर भाजपा में शामिल हो सकते हैं। उनके साथ ही सपा के कुछ अन्य सांसद भी समाजवादी पार्टी को अलविदा कह सकते हैं। बताया जा रहा है कि भाजपा को पश्चिमी उत्तर प्रदेश में एक बड़े गुर्जर नेता की दरकार है। इसलिए सुरेंद्र नागर के जल्द ही भाजपा में शामिल होने की पूरी संभावना है।
गौतमबुद्ध नगर लोकसभा सीट से पहले सांसद रह चुके और सपा से राज्यसभा सांसद सुरेंद्र नागर के इस्तीफे ने पश्चिमी उत्तर प्रदेश की राजनीति को गर्मा दिया। गुर्जर समाज में अच्छी पकड़ रखने वाले सुरेंद्र नागर जल्द ही भाजपा ज्वाइन कर सकते हैं। बताया जा रहा है कि उनके सपा का एक अन्य सांसद भी भाजपा का दामन थाम सकता है।
सूत्रों की मानें तो लोकसभा चुनाव के दौरान सुरेंद्र नागर ने पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव से बसपा या अन्य किसी दल से गठबंधन नहीं करने का सुझाव दिया था, लेकिन अखिलेश यादव ने उनके सुझाव को दरकिनार कर दिया। यही वजह थी कि सपा से राज्यसभा सांसद होने के बावजूद उन्होंने चुनाव प्रचार में कोई खास रुचि नहीं दिखाई थी। इसलिए अब उन्होंने सपा की स्थिति को कमजोर होता देख पार्टी को अलविदा कह दिया है।
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बता दें गुर्जर नेता सुरेंद्र नागर अब तक रालोद, बसपा और सपा तीन राजनीतिक दलों में रह चुके हैं। जब तक सुरेंद्र नागर बसपा में रहे तो जिले में पार्टी का वर्चस्व था। 2011 में भट्टा पारसौल कांड के दौरान वे पार्टी की परवाह नहीं करते हुए सबसे पहले गांव पहुंचे थे और किसानों का दर्द जाना था। इसको लेकर पार्टी ने नाराजगी भी जताई, लेकिन उन्होंने साफ कह दिया था कि वह किसानों के साथ ही रहेंगे। वहीं राज्यसभा सांसद रहते हुए उन्होंने किसानों को मुआवजा व फीस सहित कई मुद्दों को उठाया। बता दें कि सुरेंद्र नागर को राजनीति का करीब 25 साल का अनुभव है।
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