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आत्म-दर्शन: सीमा रेखा

आप अपने मन को पलट कर देखिए। प्रतिज्ञा लेना क्या है? यह निषेध की शुरुआत ही तो है। मैंने एक रेखा खींच दी, अब इस रेखा से बाहर नहीं जाऊंगा।

Jul 10, 2021 / 10:28 am

सुनील शर्मा

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– मुनि प्रमाण सागर

बेहतर तरीके से जीवन जीने के लिए हमें कुछ चीजों को एकदम निषिद्ध समझना होगा। जीवन में एक सीमा रेखा, एक बाउंड्री लाइन जरूर खींचिए। अपने जीवन को निर्मल बनाना चाहते हैं, तो कुछ बातों का निषेध होना चाहिए। मुझे ये कार्य नहीं करने हैं, तो नहीं करने हैं। इनसे दूर रहना है, तो दूर ही रहना है। इसे नहीं छूना है, तो नहीं छूना है, उस दिशा में नहीं जाना है, तो नहीं जाना है।
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एक बात ध्यान जरूर रखना, जब हमें कोई दूसरा कार्य करने से रोकता है, तो तो मन उसके पीछे भागता है। लेकिन, जब हम खुद किसी कार्य के लिए खुद को निषिद्ध कर लेते हैं, तो मन उधर ताकता भी नहीं है। निषेध खुद तय करो, खुद सीमा रेखा खींचो कि यह कार्य नहीं करना। संकटों से बचने के लिए, सुखपूर्वक जीवन बिताने के लिए संयम बहुत जरूरी है। जो संयमी होता हैं, वह निषेध पहले करता हैं। जहां निषेध है, सीमा रेखा है, वहां संयम है और जहां निषेध नहीं है, वहां असंयम है।
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आप अपने मन को पलट कर देखिए। प्रतिज्ञा लेना क्या है? यह निषेध की शुरुआत ही तो है। मैंने एक रेखा खींच दी, अब इस रेखा से बाहर नहीं जाऊंगा। वह मेरे जीवन की लक्ष्मण रेखा है, उसका उल्लंघन में नहीं करूंगा। यही तो निषेध है। सवाल यह है कि आपके जीवन में किसी बात का निषेध है कि नहीं है? मेरे भाव न बिगड़े, मेरी आत्मा ना बिगड़े, मेरे मन में मलिनता न आए, मेरे भीतर खोटे विचार न आएं, जीवन में यह सावधानी बहुत जरूरी है।

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