अब जो आदमी प्रवचन में बैठा था, वह सोच रहा था कि उसका मित्र मजे ले रहा होगा और मैं इस नीरस जगह आ बैठा। जो आदमी वेश्या के पास बैठा था, वह सोच रहा था कि उसके मित्र ने मुक्ति का मार्ग चुना है। प्रवचन में बैठे व्यक्ति ने वेश्या के बारे में सोच कर बुरे कर्म बटोरे।
गलत काम की कीमत आप इसलिए चुकाते हैं, क्योंकि आप चालाकी करते हैं। यही चालाकी आपको नरक में ले जाती है। कर्म ठीक उसी तरह से बनता है, जिस तरह से आप उसे महसूस करते हैं। आप जो कर रहे हैं, उससे इसका संबंध नहीं है। जिस तरीके से आप चीजों को अपने दिमाग में ढोते हैं, कर्म का संबंध केवल उसी से है।