सत्ता आदमी की खाल, पेट और दिमाग तीनों पर चर्बी चढ़ा देती है। मोटी खाल
इंसान को ‘बेशर्म’, मोटा पेट मनुष्य को ‘आलसी’ और मोटा दिमाग आदमी को
‘विचारहीन’ बना देता है
व्यंग्य राही की कलम से
सत्ता आदमी की खाल, पेट और दिमाग तीनों पर चर्बी चढ़ा देती है। मोटी खाल इंसान को ‘बेशर्म’, मोटा पेट मनुष्य को ‘आलसी’ और मोटा दिमाग आदमी को ‘विचारहीन’ बना देता है। हम समस्त कांग्रेसीजनों से क्षमा मांगते हुए अर्ज करना चाहते हैं कि भाइयों। आपका हाल भी ऐसा हो गया है जो न चाकरी करना चाहता है और न काम। अब ले देकर कांग्रेस की उम्मीद बहिन प्रियंका हैं। उन्हें अब गाजेबाजे से राजनीति में उतारने की तैयारी हो रही है। कांग्रेसियों को प्रियंका में उनकी दादी श्रीमती इंदिरा गांधी का अक्स नजर आता है।
प्रियंका की हिन्दी और भाषण कला दोनों अपने भाई राहुल से कई गुणा बेहतर है। प्रियंका ने भी वही किया जो एक आम भारतीय बहिन करती है। उन्होंने अभी तक कोई राजनीतिक दावा प्रस्तुत नहीं किया बल्कि अपने भाई को खानदानी राजनीतिक बपौती का मालिक बनाने में मदद की। लेकिन माता सोनिया और पार्टी की लाख कोशिशों के बावजूद राहुल गांधी कांग्रेस को संभालने में अभी तक विफल रहे। इसका कारण उनकी अयोग्यता नहीं, बल्कि राजनीति के प्रति उनकी ‘अरुचिÓ और पद संभालने के प्रति ‘आत्म-शंका’ शामिल है।
यूपीए-टू के दौरान तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने सार्वजनिक रूप से कहा था कि वे राहुल गांधी के लिए अपना पद त्यागने को तैयार हैं। लेकिन तब सोनिया गांधी और राजनीतिक सलाहकारों की हिम्मत ही नहीं हुई कि राहुल की ताजपोशी कर सकें। लेकिन प्रधानमंत्री बनकर सिर पर कांटों का ताज रखना और प्रतिदिन तलवार की धार पर चलना हर किसी के वश की बात नहीं। दूसरी तरफ नरेन्द्र भाई ने सारे मौके अपनी पार्टी में लड़ कर हासिल किए। बहरहाल कांग्रेस बहिन प्रियंका को एक ‘अवतार’ की तरह प्रकट कर रही है।
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