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बिजली वाहनों के लिए बैटरी स्वैपिंग हो सकता है एक बड़ा प्रयोग

locationनई दिल्लीPublished: Oct 04, 2020 02:44:39 pm

Submitted by:

shailendra tiwari

शुल्क बैटरी की लागत, चार्जिंग की लागत और स्वैपिंग ऑपरेशन चलाने की लागत के आधार पर तय होगा, ताकि ऐसा करने वाले के लिए वह एक लाभदायक व्यवसाय हो।

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वर्षों पहले यह माना जाता था कि घर पर खाना पकाने के लिए रसोई गैस का उपयोग भारत में खाना पकाने में क्रांति लाएगा, क्योंकि तब खाना पकाना लकड़ी या कोयले जैसे अत्यधिक प्रदूषणकारी स्रोतों पर निर्भर था। हालांकि, शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में हर घर में गैस पाइप बिछाना बहुत महंगा नहीं होता, लेकिन उसका रखरखाव बहुत समस्याजनक होता है। भारतीय नवाचार ने रास्ता दिखाया। यह नवाचार एलपीजी गैस-सिलेंडर के साथ आया, जिसे हर घर तक ले जाया जा सकता है और खाली सिलेंडर को उठा कर उसकी जगह भरा हुआ रखा जा सकता है। प्रारंभ में, इस अभिनव प्रयोग के बारे में संदेह था, क्योंकि इसका उपयोग कहीं और नहीं किया गया था। लेकिन बोल्ड निर्णय ने नतीजा दिया। एलपीजी गैस सिलेंडर अब लगभग 97 प्रतिशत भारतीय घरों में पहुंचता है।

आज भारत में इलेक्ट्रिक वाहन अपनाने में वैसी ही दुविधा है। बिजली से चलने वाले वाहन की लागत का 30 से 50 प्रतिशत तक का हिस्सा बैटरी का होता है। आइए, हम मूल्यांकन करें कि क्या होगा यदि एक डिस्चाज्र्ड बिजली चालित वाहन की बैटरी को एलपीजी गैस-सिलेंडर की तरह चार्ज की हुई से बदल दिया जाय। इस तरह के मॉडल में, ग्राहक बैटरी नहीं खरीदता या खुद की बैटरी नहीं रखता, लेकिन वह बस एक एनर्जी ऑपरेटर (ईओ) से चार्ज की गई बैटरी को उठाता है और जरूरत पडऩे पर उसे देकर दूसरी ले आता है। इस अदला-बदली में कुछ मिनटों से अधिक समय नहीं लगता।

इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए बैटरी स्वैपिंग का प्रस्ताव भारत में लगभग साढ़े तीन साल पहले रखा गया था। इसका तर्क बहुत ही सरल था। बैटरी स्वैपिंग के लिए बिजली चालित वाहन का ग्राहक ऊर्जा ऑपरेटर की सेवाओं का उपयोग करेगा। वे ऑपरेटर बैटरी खरीदेंगे, उन्हें चार्ज करेंगे और उन्हें कई सुविधाजनक स्थानों पर स्वैप करने के लिए ऐसे वाहन धारकों के लिए उपलब्ध कराएंगे। सेवा प्रदाता पेट्रोल भरने के लिए पेट्रोल-पंप के चार्ज की तरह बैटरी की अदला-बदली का कुछ शुल्क लेकर इस ऑपरेशन को एक व्यवहार्य व्यवसाय बना देगा।
शुल्क बैटरी की लागत, चार्जिंग की लागत और स्वैपिंग ऑपरेशन चलाने की लागत के आधार पर तय होगा, ताकि ऐसा करने वाले के लिए वह एक लाभदायक व्यवसाय हो। एक ग्राहक के लिए प्रति किमी स्वैप-बैटरी की लागत वैसे ही वाहन के लिए प्रति किमी पेट्रोल लागत से कम होगी। ग्राहक के लिए यह इसलिए एक बड़ा लाभ का सौदा होगा। वह अपनी इच्छा से इस सेवा प्रदाता का चयन करेगा, जो उसे उसके पैसे की सर्वोत्तम सेवाएं और मूल्य प्रदान करेगा। इसीलिए ग्राहक भी यह व्यवस्था पसंद करेगा।

बेशक, अभी कुछ ढीले छोरों को जोडऩे और बैटरी स्वैपिंग से संबंधित कुछ विशिष्ट मुद्दों का हल निकालने की आवश्यकता है। यदि वाहन का प्रत्येक वर्ग जैसे कनेक्टर, बैटरी का फार्म-फैक्टर और बिजली चालित वाहन, स्वैपेबल बैटरी और चार्जर के बीच संचार प्रोटोकॉल का मानक अपनाएं तो शुरुआत के लिए यह मददगार होगा। सरकार को अब जल्दी से ईवीएम के ओरिजिनल ईक्विपमेंट मेन्यूफेक्चरर (ओईएम) को तथा बैटरी स्वैपिंग के सेवा प्रदाता को सब्सिडी देने की एक स्पष्ट व्यवस्था बनानी चाहिए और भारत में बैटरी स्वैपिंग को आगे बढ़ाने की राह आसान करनी चाहिए।

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