कम कार्यबल में ज्यादा उत्पादन का फार्मूला कोरोना काल में तकनीकी के उपयोग से कम कार्यबल में ज्यादा उत्पादन का फार्मूला कारगर रहा है। अब नई तकनीक के साथ कंपनियों को कुशल कार्यबल चाहिए होगा। चाइना प्लस वन के लिए हमारे उद्योगों को उत्पाद की कीमतों पर भी ध्यान देना होगा। इसके लिए कंपनियां ऑटोमेशन और कुशल युवाओं के विकल्प को तलाशेगी। ऐसे में मौजूदा रोजगार ढ़ांचा बुरी तरह प्रभावित होगा। यह कमी 20 प्रतिशत तक की हो सकती है। ऐसे में मौजूदा रोजगार ढ़ांचा बुरी तरह प्रभावित होगा। यह कमी 20 प्रतिशत तक की हो सकती है। इसका असर मौजूदा श्रमिक व नई तकनीकों से अनभिज्ञ बिरादरी पर ज्यादा होगा। जो कुशल है, उन पर कम होगा, लेकिन इसका प्रतिशत हमारे देश में कम है।
मल्टी टास्किंग मॉडल पर रहेगा जोर बीते साल जो परिस्थितियां बनीं, उसमें जिस तरह से एक व्यक्ति ने कई तरह के काम करके व्यवस्था को बरकरार रखा। उसमें कंपनियों के सामने एक मल्टी टास्किंग का नया मॉडल भी सामने है। कंपनियां अपने कर्मचारियों तकनीकी कौशल, प्रबंधन के साथ और भी विधाओं में पारंगत और प्रशिक्षित होने की अपेक्षा करेगी। इसलिए जरूरी है कि हर स्तर पर नौकरी पेशा अपने आप को प्रशिक्षित करें नए क्षेत्रों के बारे में जानकारी एकत्रित करें और काम करने का कौशल बढ़ाएं ।
मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में जॉब बढ़ेगे हमारे देश में मुख्य रूप से सर्विस और उत्पादन या मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में बहुत अधिक जॉब है। जीडीपी ग्रोथ में देखें मैन्युफैक्चरिंग का हिस्सा 15 फ़ीसदी होता है। नए प्रयोगों से जॉब कम होंगे तो आने वाले समय में जो मांग बढ़ेगी उससे उत्पादन क्षेत्र और मजबूत बनने की भी संभावना है ब शर्त यह है कि हम उसके लिए प्रतिस्पर्धा करने के लिए तैयार रहे। 2025 तक सरकार का लक्ष्य जीडीपी में उत्पादन क्षेत्र की हिस्सेदारी 25 फीसदी करना है। साथ ही निर्यात लक्ष्य को भी बढ़ाना है । ऐसे में नौकरी पेशा लोगों को निराश होने की जरूरत नहीं है। क्योंकि यदि 20फीसदी जॉब कम होंगे लेकिन मांग बढऩे से उत्पादन इकाइयां बढ़ेगी और रोजगार बढ़ेगे । सामान्य सी बात है 100 इकाइयां 20फीसदी जॉब कम करेंगी तो नई 100 इकाइयां 100 फीसदी जॉब पैदा करेंगी। परंतु उत्पादन क्षेत्र के सामने सबसे बड़ी चुनौती होगी अपनी लागत को कम करना । यह चुनौती उसे कम लागत वाले देश वियतनाम थाईलैंड इंडोनेशिया फिलीपींस ताइवान आदि से मिलेगी । यहां पर कुशल मानव स संसाधन सस्ता है। हमारे नौकरी पेशा और नव युवकों को यह समझना होगा कि वह भी नई के साथ तालमेल बैठाकर अपने आपको तैयार करें। (इंटरव्यू – संदीप पारे)