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PATRIKA OPINION छायादार पेड़ों की हरियाली आबादी के लिए हितकारी

इन दिनों भारत के कई हिस्से अगर प्रचंड गर्मी को लेकर तंदूर की तरह तप रहे हैं, इसके पीछे छायादार पेड़ों का घटना भी बड़ा कारण है। पेड़ बढ़ते तापमान में राहत का स्रोत ही नहीं हैं, बल्कि जलवायु और जैव विविधता के संरक्षण में भी महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

जयपुरMay 19, 2024 / 08:53 pm

Gyan Chand Patni

डेनमार्क की कोपेनहेगन यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने भारत में छायादार पेड़ों को लेकर बेहद चिंताजनक तस्वीर पेश की है। नेचर सस्टेनेबिलिटी जर्नल में छपे शोध के मुताबिक भारत के खेतों से पिछले पांच साल में नीम, महुआ, जामुन और शीशम जैसे 53 लाख छायादार पेड़ गायब हो चुके हैं। एक तरफ हरियाली बढ़ाने के लिए वृक्षारोपण पर जोर दिया जा रहा है तो दूसरी तरफ खेतों के छायादार पेड़ों को लेकर ‘घर को आग लग गई घर के चिराग से’ वाला मामला है। शोध में बताया गया कि किसान छायादार पेड़ों को फसलों की पैदावार बढ़ाने में बड़ी बाधा मानते हैं। धान की ज्यादा फसल हासिल करने के लिए खेतों से कई छायादार पेड़ों को ही काट दिया गया।
यह मामला इस लिहाज से भी चिंताजनक है कि देश के 20 फीसदी भू-भाग में जंगल के मुकाबले 56 फीसदी भू-भाग कृषि भूमि का है। वहां हरियाली की संभावनाएं ज्यादा हैं।छायादार पेड़ों को काट कर इन संभावनाओं को सीमित किया जा रहा है। शहरों में ऐसे पेड़ घटाकर इंसान ने प्रकृति की लय बिगाडऩे की जो गलती की है, इसका खमियाजा उसे भुगतना पड़ रहा है। इन दिनों भारत के कई हिस्से अगर प्रचंड गर्मी को लेकर तंदूर की तरह तप रहे हैं, इसके पीछे छायादार पेड़ों का घटना भी बड़ा कारण है। पेड़ बढ़ते तापमान में राहत का स्रोत ही नहीं हैं, बल्कि जलवायु और जैव विविधता के संरक्षण में भी महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
शहरों में छायादार पेड़ घटने से जैव विविधता को सबसे ज्यादा नुकसान पहुंचा है। गौरेया और तोते जैसे पक्षियों के दर्शन दुर्लभ हो गए। गांवों में हालात इतने नहीं बिगड़े थे, लेकिन जिस तेजी से खेतों के छायादार पेड़ों का सफाया हो रहा है, मुमकिन है कि आने वाले समय में वहां भी पक्षियों की कई प्रजातियां देखने को न मिलें। एक छायादार पेड़ रोज करीब 230 लीटर ऑक्सीजन छोड़ता है। यानी वह सात लोगों के लिए ऑक्सीजन का बंदोबस्त करता है। पिछले पांच साल में खेतों से 53 लाख छायादार पेड़ों का सफाया कर हम कितनी ऑक्सीजन से वंचित हुए हैं, इसका हिसाब सहज लगाया जा सकता है। ऐसे पेड़ मिट्टी का क्षरण रोककर उसे जमीन से बांधे रखते हैं। भू जल का स्तर बढ़ाने में सबसे ज्यादा मदद करते हैं। पेड़ों से आच्छादित जगह पर तापमान तीन से चार डिग्री कम होता है। इतने फायदों को देखते हुए न सिर्फ छायादार पेड़ों के संरक्षण पर ध्यान देने की जरूरत है, बल्कि ऐसे पेड़ लगाने का व्यापक अभियान भी शुरू किया जाना चाहिए। शहरों में सजावटी पेड़ों के बजाय छायादार पेड़ ही आबादी का ज्यादा कल्याण करेंगे।

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