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PATRIKA OPINION : गठबंधन की बिसात पर सधी हुई चाल

शपथ ग्रहण में एनडीए के सभी घटक दलों के नेता मौजूद रहे और मंत्रिमंडल में प्रतिनिधित्व को लेकर कोई खास नाराजगी सामने नहीं आई। हां, अजित पवार की एनसीपी अवश्य मंत्रिमंडल से बाहर रह गई।

जयपुरJun 11, 2024 / 05:13 pm

विकास माथुर

लगातार तीन बार भारत का प्रधानमंत्री बनने के पंडित जवाहर लाल नेहरू के रेकॉर्ड की बराबरी अपने आप में महत्त्वपूर्ण है, लेकिन इस बार गठबंधन पर निर्भरता के चलते देश को स्थिर सरकार दे पाना प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लिए ज्यादा बड़ी चुनौती और कसौटी होगी। यह चुनौती ज्यादा मुश्किल इसलिए है कि इस बार गठबंधन में चंद्रबाबू नायडू और नीतीश कुमार जैसे गठबंधन राजनीति में माहिर नेता भी शामिल हैं।
इस लिहाज से नौ जून की शाम प्रधानमंत्री मोदी के साथ शपथ लेने वाली मंत्रिपरिषद पर नजर डालें तो कहा जा सकता है कि मोदी गठबंधन की बिसात पर सधी चाल चल रहे हैं। शपथ ग्रहण में एनडीए के सभी घटक दलों के नेता मौजूद रहे और मंत्रिमंडल में प्रतिनिधित्व को लेकर कोई खास नाराजगी सामने नहीं आई। हां, अजित पवार की एनसीपी अवश्य मंत्रिमंडल से बाहर रह गई, पर इसके कारण आंतरिक और तार्किक, दोनों बताए जा रहे हैं। पहला, मंत्री बनने के लिए प्रफुल्ल पटेल और सुनील तटकरे में खींचतान। दूसरा, अतीत में कैबिनेट मंत्री रह चुके प्रफुल्ल का स्वतंत्र प्रभार के साथ राज्य मंत्री बनने से इनकार। मात्र एक लोकसभा सीट जीत पाई उप मुख्यमंत्री अजित पवार की एनसीपी सौदेबाजी की स्थिति में नहीं है। इसका इसी साल अक्टूबर में विधानसभा चुनाव वाले महाराष्ट्र की राजनीति पर क्या असर पड़ेगा, यह देखना दिलचस्प होगा, क्योंकि उनके गुट के एक दर्जन से भी ज्यादा विधायकों के शरद पवार से संपर्क में होने की खबरें हैं।
शिवसेना तोड़ कर मुख्यमंत्री बनने वाले एकनाथ शिंदे ज्यादा कमजोर आंके जा रहे थे, लेकिन लोकसभा चुनावों में उनका प्रदर्शन अजित पवार की एनसीपी से अच्छा रहा, जिसका पुरस्कार भी उन्हें मोदी मंत्रिमंडल में एक कैबिनेट और एक राज्य मंत्री के रूप में मिला है। महाराष्ट्र से कुल छह मंत्री बनाए गए हैं, जिनमें भाजपा की रक्षा खड़से भी शामिल हैं, जिनके श्वसुर एकनाथ खड़से फिलहाल शरद पवार की एनसीपी के एमएलसी हैं, पर जल्द अपनी पुरानी पार्टी भाजपा में लौटने वाले हैं।
हरियाणा में भी इसी साल अक्टूबर में विधानसभा चुनाव हैं, जहां से एक कैबिनेट समेत कुल तीन मंत्री बनाए गए हैं। दिल्ली में विधानसभा चुनाव अगले साल फरवरी में हैं। वहां से एक राज्य मंत्री बनाया गया है। तीसरी बार सांसद बने भोजपुरी गायक मनोज तिवारी चूक गए, लेकिन पहली बार सांसद बने हर्ष मल्होत्रा की लॉटरी लग गई। मोदी सरकार में इस बार प्रधानमंत्री के अलावा 30 कैबिनेट मंत्री, पांच स्वतंत्र प्रभार वाले राज्य मंत्री और 36 राज्यमंत्रियों समेत कुल 71 मंत्री शामिल हैं। राजनाथ सिंह, अमित शाह, नितिन गडकरी, निर्मला सीतारमण और पीयूष गोयल जैसे पुराने चेहरे तय माने जा रहे थे, लेकिन भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा, हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल और सभी 29 लोकसभा सीटें जिताने वाले मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के रूप में कुछ नए चेहरे भी शामिल हुए हैं।
जीतन राम मांझी, सर्बानंद सोनोवाल और एचडी कुमारस्वामी भी क्रमश: बिहार, असम और कर्नाटक के मुख्यमंत्री रह चुके हैं। जेपी नड्डा को मंत्री बना दिए जाने की वजह से भाजपा को नया राष्ट्रीय अध्यक्ष तलाशना होगा। वैसे भी लोकसभा चुनाव के चलते बढ़ाया गया नड्डा का कार्यकाल इसी महीने समाप्त हो रहा है। नड्डा के मंत्री बनने के चलते ही शायद अनुराग सिंह ठाकुर को मंत्रिमंडल में जगह नहीं मिली। मात्र चार लोकसभा सीटों वाले हिमाचल प्रदेश से एक से ज्यादा कैबिनेट मंत्री बनाए जाते तो अन्य बड़े राज्यों में असंतुलन पैदा हो जाता। यह देखना होगा कि भविष्य में अनुराग ठाकुर को क्या जिम्मेदारी दी जाती है। एक और पूर्व मंत्री स्मृति ईरानी भी इस बार सरकार में नहीं हैं। पुरुषोत्तम रूपाला जैसे कुछ पूर्व मंत्री चुनाव जीतने के बावजूद नए मंत्रिमंडल में शामिल नहीं किए गए, पर उनके कारण अलग हैं।
चुनाव से पहले कांग्रेस छोड़ कर आए लुधियाना के सांसद रवनीत सिंह बिट्टू इस बार चुनाव हार जाने के बावजूद मोदी सरकार में राज्य मंत्री बनाए गए हैं। भाजपा रवनीत सिंह बिट्टू को पंजाब की राजनीति में अपने सिख चेहरे के रूप में आगे बढ़ाना चाहती है। बिट्टू आतंकवाद से संघर्ष में शहीद हुए पंजाब के मुख्यमंत्री बेअंत सिंह के पौत्र हैं। रणनीति के तहत ही केरल में भाजपा का खाता खोलने वाले अभिनेता से राजनेता बने सुरेश गोपी को मंत्री बनाया गया है।
आंकड़ों की बात करें तो चुनाव हार जाने समेत कई कारणों से पिछले मोदी मंत्रिमंडल के कुल 37 चेहरों को इस बार बाहर का रास्ता दिखा दिया गया है, जबकि 33 नए चेहरों की एंट्री हुई है। नए चेहरों में सहयोगी दलों के चिराग पासवान और जयंत चौधरी भी शामिल हैं। राज्यवार देखें तो बिहार के कुल आठ मंत्रियों में से चार कैबिनेट मंत्री बनाए गए हैं, जबकि उत्तर प्रदेश के नौ मंत्रियों में से अकेले राजनाथ सिंह कैबिनेट मंत्री हैं। वैसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी खुद भी उत्तर प्रदेश के वाराणसी से ही सांसद हैं। प्रधानमंत्री मोदी के गृह राज्य गुजरात से कुल छह मंत्री बनाए गए हैं। राजस्थान से 4 मंत्री बनाए गए हैं।
— राज कुमार सिंह

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