scriptPATRIKA OPINION : सभी बनें अपने लीडर | PATRIKA OPINION : Everyone should become their own leader | Patrika News
ओपिनियन

PATRIKA OPINION : सभी बनें अपने लीडर

जब कर्मचारी अपने आपको मूल्यवान और प्रभावशाली महसूस करते हैं, तो वे अपनी पूरी ऊर्जा से काम करते हैं।

जयपुरJun 03, 2024 / 04:59 pm

विकास माथुर

एक बार प्रसिद्ध भारतीय दार्शनिक और रणनीतिकार, चाणक्य ने एक राजा को उसके राज्य के शासन के लिए विकेंद्रीकृत प्रबंधन की सलाह दी। इसमें स्थानीय गांवों का शासन ‘ग्रामणी’ या ग्राम प्रधानों के रूप में जाने जाने वाले विश्वसनीय लीडरों द्वारा करने का प्रावधान था। इन ग्राम प्रधानों को अपने समुदायों के मामलों का प्रबंधन करने के लिए महत्त्वपूर्ण स्वायत्तता दी गई थी।
इसमें कृषि, व्यापार और कानून प्रवर्तन से संबंधित मामले शामिल थे। शासन के लिए इस विकेंद्रीकृत दृष्टिकोण ने न केवल राजा की प्रभावी रूप से शासन करने की क्षमता को बढ़ाया, बल्कि ग्रामीणों के बीच स्वामित्व और जवाबदेही की भावना को भी बढ़ावा दिया। आधुनिक संगठन ‘होलाक्रेसी’ नामक इसी अवधारणा के माध्यम से सशक्तीकरण और स्वायत्तता के समान सिद्धांतों को अपना सकते हैं। होलाक्रेसी संगठन के शीर्ष पर शक्ति को समेकित करने के बजाय स्व-संगठित टीमों में अधिकार और निर्णय लेने को वितरित करती है। यह प्रत्येक टीम के प्रत्येक सदस्य को स्पष्ट उद्देश्य और जिम्मेदारियों के साथ काम करने में मदद करती है और उन्हें सशक्त बनाती है।
पारंपरिक पदानुक्रम में, निर्णय लेने की प्रक्रिया धीमी हो सकती है, क्योंकि इसके लिए अक्सर कई स्तरों की स्वीकृति की आवश्यकता होती है। यह अंतराल बदलाव को स्वीकारने या आंतरिक चुनौतियों के अनुकूल होने की क्षमता में बाधा डालता है। इसके विपरीत, होलाक्रेसी निर्णय लेने की प्रक्रियाओं को तेज बनाती है और संगठन के भीतर पारदर्शिता और स्पष्टता को बढ़ाती है। प्रत्येक भूमिका और उसकी जिम्मेदारियों को स्पष्ट रूप से परिभाषित और प्रलेखित किया जाता है, जिससे ज्ञात हो कि कौन किसके लिए जवाबदेह है।
जब हर कोई अपनी भूमिका और दूसरों की भूमिकाएं जानता है, तो सहयोग अधिक सरल हो जाता है। ऐसे में, जब कर्मचारी अपने आपको मूल्यवान और प्रभावशाली महसूस करते हैं, तो वे अपनी पूरी ऊर्जा और रचनात्मकता से काम करते हैं। होलाक्रेसी को लागू करने के लिए एक विचारशील और रणनीतिक दृष्टिकोण की आवश्यकता होती है। यह विश्वास और सहयोग की संस्कृति को बढ़ावा देने की प्रतिबद्धता के साथ शुरू होती है और सबसे पहले, इसके लिए शिक्षा आवश्यक है। एक लीडर और शिक्षक के रूप में, मैं शिक्षा को अत्यधिक महत्व देता हूं। मेरे लिए, होलाक्रेसी को अपनाने का मतलब है स्वयं को इसके दर्शन और तंत्र में समाहित कर देना। यह मुझे ही नहीं, मेरे संस्थान में ही निरंतर सीखने की संस्कृति को बढ़ावा देती है। मैं दो-तरफा प्रवाह से ज्ञानार्जन में विश्वास करता हूं। अर्थात, जब मैं अपनी टीम को कुछ सिखाता हूं, तो स्वयं भी उनसे वह सीखता हूं जो मैं नहीं जानता।
ज्ञान का यह पारस्परिक आदान-प्रदान सुनिश्चित करता है कि हमारी यात्रा विविध दृष्टिकोणों और अंतर्दृष्टि से समृद्ध हो। इसमें छोटी शुरुआत का महत्त्व समझना भी आवश्यक है। उदाहरण के लिए, एक बार में पूरे संगठन में नया परिवर्तन बदलने की कोशिश करने के बजाय, एक विशिष्ट विभाग या प्रोजेक्ट टीम में बदलाव हो। यह दृष्टिकोण नियंत्रित वातावरण में प्रयोग और परिशोधन की अनुमति देता है। दीर्घकालिक लक्ष्य चाहे कितना भी बड़ा हो, मैं अक्सर मासिक लक्ष्य की योजना बनाता हूं और छोटे पैमाने पर प्रयोग शुरू करता हूँ।
हम इस दौरान सामने आई किसी भी चुनौती या सफलता से सीख सकते हैं। इसके बाद, भूमिकाओं और जिम्मेदारियों को फिर से परिभाषित करना एक होलाक्रेटिक सिस्टम में महत्वपूर्ण कदम है। भूमिकाएं लचीली होनी चाहिए और संगठन की विकसित होती जरूरतों पर आधारित होनी चाहिए। होलाक्रेसी की सफलता के लिए आपसी विश्वास और खुले संचार की संस्कृति सर्वोपरि है। ऐसा वातावरण बनाने के लिए जहां होलाक्रेसी पनप सके, टीम के सदस्यों और लीडरों के बीच उच्च स्तर का विश्वास होना चाहिए।
— प्रो हिमांशु राय

Hindi News/ Prime / Opinion / PATRIKA OPINION : सभी बनें अपने लीडर

ट्रेंडिंग वीडियो