मानसिक शांति केवल करुणापूर्ण प्रवृत्ति से आती है। सवाल यह है कि हम इसका विकास किस प्रकार से कर सकते हैं? स्पष्ट है कि केवल यह सोचना पर्याप्त नहीं है कि करुणा भाव कितना अच्छा है। हमें उसके विकास के लिए भी गंभीर प्रयास करने होंगे। अपने विचारों तथा आचरण में परिवर्तन लाना होगा। यदि कोई नकारात्मक आचरण करे, तो भी उसके प्रति करुणा रहनी चाहिए। अभ्यास से ही यह संभव है।