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ओपिनियन

आत्म-दर्शन : लगाव क्यों रखें ?

एक संकीर्ण दायरे में खुद को समेटकर लगाव रखने से दिक्कत होती है और लगाव हटाने पर भी समस्या होती है।

नई दिल्लीJul 29, 2021 / 10:09 am

Patrika Desk

सद्गुरु जग्गी वासुदेव

सद्गुरु जग्गी वासुदेव

सद्गुरु जग्गी वासुदेव

अक्सर आपको सीख दी गई होगी, ‘किसी इंसान या चीज के साथ लगाव न रखो। लगाव विकास के मार्ग में रोड़ा है।’ किसने कहा कि लगाव होने पर विकास नहीं होगा? धरती के साथ आसक्त होकर जब पेड़ ने अपनी जड़ों को मिट्टी के अंदर गहराई तक फैलाया, तभी वह स्वस्थ रूप में पनपा और फल देकर सब पर उपकार किया। अगर उसे उखाड़कर धरती से अलग कर दें, तो वह नष्ट हो जाएगा। आपके लिए भी यही बात सही है। अगर आपका स्वभाव स्नेह करने का है, तो इसे बदलने की कोशिश मत कीजिए। एक संकीर्ण दायरे में खुद को समेटकर लगाव रखने से दिक्कत होती है और लगाव हटाने पर भी समस्या होती है।

सबसे अलग-थलग रहना विकास नहीं है। जब ‘अपना-पराया’ में फर्क न रह जाए, जब आप ‘मैं, मेरा’ की सोच को हटाकर, थोड़ा-थोड़ा करके सारी दुनिया के साथ पूर्ण आसक्त बनेंगे, तब आपका जीवन परिपूर्ण होगा। जब लगाव हर इंसान से, हर प्राणी से समान रूप से हो तो यह बुरा नहीं है, लेकिन अगर यह सिर्फ चुने हुए लोगों से हो, तो यह पीड़ा का कारण बन जाता है।

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