हिन्दी शब्दकोश, हिन्दी पर्यायवाची शब्द, लोकोक्तियां और मुहावरे,
नाना-बाबा गाली कोश और बिरहा नारी शब्दावली इत्यादि इत्यादि। विविध प्रकार के
ग्रंथों में हमने माथा खपा लिया, भांति-भांति के कूड़मगज विद्वानों से माथापच्ची
करने के बावजूद “ठुल्ला” शब्द की सटीक जानकारी प्राप्त नहीं हुई तो हम ऎसे बेचैन हो
गए जैसे जल बिन मछली, प्रियतम बिन प्रेयसी और भ्रष्टाचार बिन मंत्री। एक शब्दकोश
में “ठलुआ” शब्द तो मिला।
अपनी-अपनी बुद्धि लड़ा कर “ठुल्ला” को “ठलुआ” से जोड़ने
की पुरजोर कोशिश की पर इस दिमागी जंग में ऎसे ही खेत रहे जैसे पानीपत के मैदान में
देशभक्त सैनिक। आखिर हमने “फेसबुक” नामक सोश्यल साइट पर इसे खोजने का दृढ़ निश्चय
किया। वहां सक्रिय एक फेसबुकी मित्र बेतुकानाथ से बड़ी दिलचस्प जानकारी मिली। पता
चला कि ठुल्ला शब्द का पहली बार प्रयोग एक विफल छात्र नेता ने कोई चालीस-पैतालीस
बरस पहले एक धरना-प्रदर्शन के दौरान किया था। दूध-दही के प्रदेश हरियाणा में पानीपत
के नजदीक जनपद सोनीपत में वह “ठुल्ला” शब्द उस आदमी के लिए इस्तेमाल किया जाता है
जो निठल्ला, निकम्मा और नालायक होता है।
इस लिहाज से जाहिर है कि राजधानी के
बहुचर्चित मुख्यमंत्री केजी ने इस शब्द का निहायत बेजा इस्तेमाल किया है। अपनी नजर
में अब भी पुलिस का सिपाही देश के सबसे ज्यादा मेहनत करने वाले कामगारों में गिना
जाना चाहिए। सिपाही के ड्यूटी टाइम तय नहीं होते। उसे कब कहां जाकर सेल्यूट मारनी
पड़ेगी, पता नहीं। कब वह हिंसक भीड़ द्वारा घेर लिया जाएगा, कोई नहीं कह सकता। भरी
धूप में वह घंटों चौराहों पर खड़ा-खड़ा “वीआईपी मूवमेंट” की बाट जोहता रहता है।
रोटी-पानी का कोई ठिकाना नहीं। ठुल्ला शब्द प्राय: कॉन्स्टेबल के लिए प्रयोग लिया
जाता है। जार एसपी या शहर कोतवाल को कोई ठुल्ला कह के तो देखे। इसका अंजाम क्या
होगा इसका वर्णन करना मुश्किल है।
ठुल्ला शब्द उत्तराखंड की कुमाऊंनी बोली से
मिलता-जुलता है जहां इसका मतलब है बड़ा या मोटा जैसे ठुल्ला खेत, ठुल्ला पहाड़,
ठुल्ला बोट। इस तरह गरीबों को आसानी से “ठुल्ला” कहा जा सकता है क्योंकि वे ठुल्ला
(मोटा) अनाज खाते हैं, ठुल्ला कपड़े पहनते हैं और ठुल्ला (लंबे)होते हैं। अगर केजी
यह बात पढें तो हमें आसानी से “ठुल्ला” (लिख्खाड़) कह सकते हैं क्योंकि मोटी बुद्धि
से मोटा लिखते हैं।
बारीक कातना और बारीक लिखना हर किसी के बस की बात नहीं। जहां तक
ठुल्ला शब्द की समकालीनता का प्रश्न है तो आजकल “ठुल्ला” का अर्थ निकाला जाता है-
“रिश्वतखोर तोंदवाली पुलिस”। लेकिन पुलिस को ठुल्ला मानने वाले नेताओं को आप क्या
कहेंग? वे कौन से दूध के धुले हैं। शायर कहता है- दूसरों पर तफसरा (टिप्पणी) जब
कीजिए, आईने को सामने रख लीजिए। क्यों भाई एके-67 ।
राही
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