यह भी देखें : कोविड के बाद बेहतर समाज के पुनर्निर्माण की उम्मीद ऐसा उत्साह तब ही बना रह सकता है जब टीकों की पहुंच लोगों तक आसान की जाए। इसके लिए जरूरत इस बात की भी है कि अधिकाधिक संख्या में टीकाकरण केन्द्र कायम किए जाएं। ज्यादा से ज्यादा लोगों का और जल्द से जल्द टीकाकरण कोरोना वायरस को हराने के लिए अत्यंत जरूरी है। कोरोना की दूसरी लहर हमारे लिए ज्यादा घातक इसीलिए साबित हुई क्योंकि टीकाकरण का काम रफ्तार नहीं पकड़ पाया।
यह भी देखें : सेहत : कोरोना की संभावित तीसरी लहर में बच्चों को कितना खतरा टीकों की उपलब्धता को लेकर केन्द्र और राज्यों के बीच खींचतान भी कम नहीं हुई। हमने देखा है कि जिन देशों ने अपने यहां अधिकाधिक आबादी को टीके लगवाए, वहां कोरोना की दूसरी लहर का असर कम रहा। टीकाकरण के कीर्तिमान कमोबेश सब राज्यों व शहरों में बने। टीकाकरण केन्द्रों पर लंबी कतारें लोगों के उत्साह को दिखाती भी हैं। लेकिन चिंता इस बात की भी करनी चाहिए कि कोरोना प्रोटोकॉल की अनदेखी कर लगने वाली ऐसी कतारें संक्रमण का खतरा बढ़ा भी सकती हैं।
ऑन स्पॉट रजिस्ट्रेशन की व्यवस्था से लोगों की आसानी तो बढ़ गई है लेकिन टीकों की उपलब्धता से अधिक लोग पहुंचने लगें तो अव्यवस्था बढऩे का खतरा हो सकता है। मध्यप्रदेश में टीका लगवाने के लिए पीले चावल देकर आमंत्रण देने व उत्तरप्रदेश में मतदाता पर्चियों की तरह बुलावा पत्र देने जैसे प्रयोग भीड़ को कम करने में मददगार साबित हो सकते हैं। खास तौर से शहरी इलाकों में चौबीसों घंटे टीकाकरण भी बेहतर विकल्प हो सकता है। लेकिन इसके लिए समुचित स्टाफ की व्यवस्था भी तय करनी होगी।
बड़ी जरूरत इस बात की है कि राज्यों को बिना किसी भेदभाव के जहां जितनी मांग है उतने टीके उपलब्ध हों। राज्यों ने पिछले दिनों में टीकाकरण क्षमताओं का विस्तार किया है। इस क्षमता का पूरा इस्तेमाल होगा तो टीकाकरण गति पकड़ेगा, इसमें दो राय नहीं हैं। टीकों के नित नए कीर्तिमान आगामी दिनों में बनने लगेंगे, यह उम्मीद की जानी चाहिए।