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आपकी बात…कमजोर सार्वजनिक परिवहन तंत्र के क्या नुकसान है?

पाठकों की मिलीजुली प्रतिक्रियाएं मिलीं, पेश है चुनींदा प्रतिक्रियाएं…

जयपुरMay 14, 2024 / 01:54 pm

विकास माथुर

निजी वाहनों का सड़कों पर भारी दबाव
कमजोर सार्वजनिक परिवहन तंत्र होने से लोगों को निजी वाहन लेने पड़ते हैं। इससे सड़क पर दबाव बढ़ता है। ट्रैफिक जाम की आए दिन समस्याएं आती हैं। इससे लोगों में झुंझलाहट व अनावश्यक तनाव रहता है। यह तनाव आफिस, दुकान, घर या कार्यस्थलों पर निकलता है। अधिक निजी वाहनों के होने से दुर्घटनाओं में भी बढ़ोतरी हुई है। सार्वजनिक परिवहन कम होने से लोगों को बस का काफी देर तक इंतजार करना पड़ता है। इससे लोगों का काफी समय व्यर्थ जाता है।
— दिनेश विजयवर्गीय, किशनगढ़, अजमेर
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सरकार को गंभीरता से सोचना पड़ेगा
कमजोर सार्वजनिक परिवहन से हजारों यात्रियों को रोजाना परेशानी होती है। लोगों का समय व्यर्थ जाता है। शहरों में आबादी के बढ़ते दबाव की वजह से प्राइवेट गाडियों की संख्या बढ़ रही है। सरकार को इस पर गंभीरता से सोचना पड़ेगा।
  • पुरुषोत्तम प्रजापति, हरढाणी जोधपुर
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निजी वाहनों के अधिक होने से दुर्घटना होने की आशंका
इससे समय और धन की बर्बादी होती है। निजी वाहनों के सडक पर अधिक होने से आए दिन दुर्घटना होने की आशंका बनी रहती है। सार्वजनिक परिवहन तंत्र मजबूत अति आवश्यक है। सरकार को इस पर प्राथमिकताओं में शामिल करना चाहिए।
—हर्षवर्धन सिंह राजावत, पाली
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महिलाओं के लिए दुखदायी
सार्वजनिक परिवहन तंत्र यात्रियों की मूल सुविधाओं के प्रति प्रायः उदासीन ही रहते हैं। कोई निर्धारित समय सारिणी न होने के कारण यात्रियों का समय खराब होता है। महिलाएं को अधिक इंतजार करना पडता है, वे स्वयं को असुरक्षित महसूस करती है।
—रेखा उपाध्याय, मनेंद्रगढ़ , एमसीबी छत्तीसगढ़
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जनता को होती भारी असुविधा
कमजोर सार्वजनिक परिवहन तंत्र से जनता को असुविधाओं का सामना करना पड़ता है। लोगों के कार्य समय पर पूरे नहीं हो पाते हैं। निर्धारित स्थानों पर समय पर नहीं पहुंच पाने के कारण अनेक प्रकार की विसंगतियों का जन्म होता है। कमजोर सार्वजनिक परिवहन तंत्र के कारण लोग यातायात के निजी साधनों पर ज्यादा विश्वास करते हैं। इससे सडकों पर अधिक दबाव के साथ पर्यावरण को भी क्षति पहुंचती है।
— ललित महालकरी, इंदौर
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आम लोगों की दिनचर्या पर असर
सार्वजनिक जीवन मे सार्वजनिक परिवहन तंत्र का बहुत बड़ा योगदान है। एक जगह से दूसरी जगह जाने के लिये, ये कम खर्च मे बेहतर साधन माने जाते हैं। साथ ही माल ढुलाई के लिये भी इनकी उपयोगिता अत्यधिक है। कमजोर पड़ते सार्वजनिक परिवहन तंत्र से आम जनता को ही परेशान होना पड़ता है। हर जगह के लिए महंगी यात्रा के साथ, माल ढुलाई भी महंगी होती जा रही है। जिनके चलते दैनिक उपभोग करने वाली चीजों की कीमतें बढ़ती ही जा रही हैं। इससे सामान्य लोगों के जीवन पर इसका असर होने लगा है।’
-नरेश कानूनगो, देवास, म.प्र.
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आम आदमी लेटलतीफी का शिकार
सार्वजनिक परिवहन की संख्या कम होने से आम आदमी को घर से कार्यस्थल और वापस लौटने में लेटलतीफी का सामना करना पड़ता है। इससे सारे दिन तनाव रहता है। महिलाओं को खासकर काफी परेशानी होती है। इससे मानसिकता पर भी असर पडता है। दूसरा, अधिक निजी वाहनों से से निकलने वाली गैसों से वायुप्रदूषण भी बढ़ता है। इससे सभी का स्वास्थ्य खराब होता है।
— निर्मला देवी वशिष्ठ, राजगढ़, अलवर
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पर्यावरण को खतरा
निजी वाहनों के अधिक उपयोग से पर्यावरण को काफी नुकसान हो रहा है। इससे हवा की गुणवत्ता पर बहुत असर पड़ रहा है । प्रदूषण बढ़ने के कारण जहरीली हवा में लोग सांस लेने के लिए मजबूर हो गए हैं। कम उत्सर्जन वाली गाड़ियों का उपयोग और उत्पादन पर सरकार को जोर देना चाहिए। सरकार को सार्वजनिक परिवहन व्यवस्था को दुरुस्त करना चाहिए।
लहर सनाढ्य, उदयपुर राजस्थान

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