फाइनल में 23 साल की पहलवान को दी पटखनी
माना जाता है कि कुश्ती में युवा पहलवानों के पास ज्यादा दमखम होता है लेकिन अपने अनुभव के दम पर निर्मला फाइनल में 23 वर्षीय नीलम पर भारी पड़ीं। निर्मला ने युवा पहलवान को पटखनी दी और 50 किग्रा वर्ग में स्वर्ण पदक जीतकर अपना दबदबा कायम किया।
चोट के कारण करियर में उतार-चढ़ाव रहे
नेशनल चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक जीतने के बाद निर्मला काफी खुश हैं और उनके हौसले भी बुलंद हैं। उन्होंने कहा, चोट के कारण मेरा करियर काफी प्रभावित हुए मुझे काफी उतार-चढ़ाव देखने को मिले, लेकिन मैंने कभी हिम्मत नहीं हारी। यही कारण है कि मैं अब भी खेलती हूं और मैंने यहां स्वर्ण पदक जीता। मैंने वापसी करने के लिए दिन में 12-12 घंटे तक अभ्यास किया है।
अपना सपना पूरा करने के लिए मेहनत कर रही हूं
हरियाणा पुलिस में नौकरी करने वाली निर्मला ने कहा कि वह 20-22 साल से कुश्ती में हैं लेकिन ये उनकी बदकिस्मती रही कि वो कभी ओलंपिक खेलों में शिरकत नहीं कर सकीं। उन्होंने कहा, लोग पूछते हैं कि इस उम्र में भी मुझे कहा से प्रेरणा मिलती है? मैं यह कहूंगी कि मेरा सपना ओलंपिक गेम्स में खेलना है और इसे पूरा करने के लिए ही मैं आज भी दिन-रात मेहनत कर रही हूं।
भारत को महिला कुश्ती में अब तक मिला सिर्फ एक कोटा
इस साल होने वाले पेरिस ओलंपिक खेलों के लिए भारतीय महिहला पहलवानों की नजरें अब आगामी अंतरराष्ट्रीय टूर्नामेंट में अच्छा प्रदर्शन करके ज्यादा से ज्यादा कोटे हासिल करना है। भारत को अभी तक एकमात्र ओलंपिक कोटा 19 वर्षीय युवा पहलवान अंतिम पंघल ने दिलाया है।