अधिकारियों के हवाले से रिपोर्ट्स में बताया गया है कि अफगानिस्तान सीमा के करीब दक्षिण पश्चिम पाकिस्तान के बलूचिस्तान स्थित मारवार कोयला खदान में 1000 फीट की गहराई पर मिथेन गैस के रिसाव के कारण यह विस्फोट हुआ। इस विस्फोट में 6 खदानकर्मियों की मौत हो गई, जबकि कई घायल हो गए। विस्फोट के बाद खदान के अंदर 8 मजदूर फंस गए थे। इसके बाद घटना की जानकारी मिलते ही मौके पर पहुंची राहत-बचाव की टीम ने घटनास्थल से 6 शवों को बाहर निकाला।
बलूचिस्तान: गैस लीकेज के कारण कोयला खदान में भयंकर विस्फोट, चार मजदूरों की दर्दनाक मौत
फिलहाल, इस घटना के बाद से खदान को बंद कर दिया गया है और जांच जारी है। इस संबंध में बलूचिस्तान कोल माइन्स वर्कर्स फेडरेशन के अध्यक्ष सुल्तान मोहम्मद लाला ने कहा कि इस घटना के बाद से खदान को बंद कर दिया गया है और जांच शुरू कर दी गई है। जांच पूरी होने के बाद खदान को फिर से चालू करने को लेकर निर्णय लिया जाएगा।
इससे पहले 102 लोगों की जा चुकी है जान
आपको बता दें कि बलूचिस्तान के कोयला खदानों में इससे पहले 72 अलग-अलग घटनाओं में 102 लोगों की जान जा चुकी है। इससे पहले भी मारवार के इसी कोयला खदान में मिथेन गैस के रिसाव के कारण बड़ी घटना घट चुकी है, जिसमें 20 खनिकों की मौत हो गई थी।
इसके अलावा 2011 में बलूचिस्तान स्थित एक अन्य कोयला खदान में मिथेन गैस के रिसाव के कारण हुए विस्फोट में 45 खदानकर्मियों की मौत हो गई थी। वहीं जनवरी 2019 में बलूचिस्तान की राजधानी क्वेटा से 200 किलोमीटर दूर पश्चिम में स्थित चामलांग कोयला खदान में मिथेन गैस के रिसाव के कारण हुए विस्फोट में चाल मजदूरों की मौत हो गई थी।
Pakistan: बलूचिस्तान में 11 कोयला खनिकों की गोली मारकर हत्या, इमरान खान ने बताया आतंकी हमला
इसी साल (2021) जनवरी में बलूचिस्तान के कोयला खदान में काम करने वाले मजदूरों को ज्ञात बंदूकधारियों ने अपहरण कर लिया था और फिर पास के ही एक पहाड़ी में ले जाकर उनको गोली मार दी थी। इनमें से 6 मजदूरों की जान चली गई थी, जबकि गंभीर रूप से घायल पांच मजदूरों ने अस्पताल में इलाज के दौरान दम तोड़ दिया था। प्रधानमंत्री इमरान खान ने इसे एक आतंकी हमला करार दिया था।
सुल्तान मोहम्मद लाला ने कहा है कि बलूचिस्तान में लगातार इस तरह की घटनाएं हो रही है। 72 अलग-अलग मामलों में इससे पहले 102 मजदूर मारे गए हैं। उन्होंने सरकार पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि सरकार और खदान मालिकों की ओर से काम करने वाले मजदूरों के हालात में सुधार लाने के लिए कभी कोई बेहतर और सकारात्मक कोशिशें नहीं की गई।