यह फसल उपजाऊ मिट्टी वाले खेत या जलभराव वाले क्षेत्रों में होती है। बारिश के समय खेतों में तीन चार बार अच्छी जुताई कर पाटा लगा कर रख दिया जाता है ताकि खेत में नमी बनी रहे। उसके बाद अक्टूबर माह में कम सिंचाई वाली फसलों की बुवाई की जाती है। मौसम अनुकूल रहने पर सिंचित फसलों के बराबर सेवज फसलों का उत्पादन होता है।
कई खेतों में चने की फसल में दीमक के कारण नुकसान भी हो रहा है। पौधे सूख कर खराब हो रहे हैं। वहीं चने की पत्तियों के रंग जैसी महिन लटें भी नुकसान पहुंचा रही हैं।
-मुझे करीब 50 वर्ष का खेती का अनुभव है। जिस वर्ष यहां बारिश के मौसम में अधिक बारिश हुई उस समय खरीफ फसलों की बुवाई नहीं कर सके। कई बार जवाई बांध के जलग्रहण क्षेत्र में भी कम बारिश के कारण नहर नहीं आई। ऐसे में खेत में तीन चार बार जुताई करने के बाद चने की बुवाई करते हैं। सेवज चने की फसल में यहां मौसम अनुकूल होने पर प्रति बीघा 4 क्विण्टल के करीब उत्पादन होता है। –बजरंगसिंह जोधा, तखतगढ़